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Class 10 Hindi Chapter 1 Assamese Medium
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नींव की ईंट
नींव की ईंट Q&A
1. पूर्ण वक्य मे उतर दो
(क) रामवृक्ष बेनीपुरी का कब और क हुआ থা?
(a) When and where was Ramvriksha Benipuri born?
उत्तर : रामवृक्ष बेनीपुरी का जन्म सन् 1902 में बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के अंतर्गत बेनीपुरी गाँव में हुआ था।
Answer: Ramvriksh Benipuri was born in 1902 in Benipuri village under the Muzaffarpur district of Bihar.
(ख) बेनीपुर जी को जेल की यात्राएँ क्यों करनी पड़ी थी ?
(ख) Why did Benipuri Ji have to undertake journeys to jail?
उत्तर : भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के कारण बेनीपुरी जी को जेल की यात्राएँ करनी पड़ी थी।
Answer: Benipuri Ji had to undertake journeys to jail because he participated in the Indian freedom struggle.
(ग) बेनीपुरी जी का स्वर्गवास कब हुआ था ?
(c) When did Benipuri ji pass away?
उत्तर : बेनीपुरी जी का स्वर्गवास सन् 1968 ई. में हुआ था।
(घ) चमकीली, सुंदर, सुघड़ इमारत वस्तुतः किस पर टिकी होती है ?
उत्तर : चमकीली, सुंदर, सुघड़ इमारत वस्तुतः नींव की ईंट पर टिकी होती है।
(ङ) दुनिया का ध्यान सामान्यत: किस पर जाता है?
उत्तर : दुनिया का ध्यान सामान्यतः कंगूरे पर जाता है।
(च) नींव की ईंट हिला देने का परिणाम क्या होता है ?
उत्तर : नींव की ईंट हिला देने से कंगूरा जमीन पर आ गिरता है ।
(छ) सुंदर सृष्टि हमेशा क्या खोजती है ?
उत्तर : सुंदर सृष्टि हमेशा बलिदान खोजती है ।
(ज) लेखक के अनुसार गिरजा घरों के कलश वस्तुतः किनके शाहादत से चमकते हैं? লেখকৰ মতে গীৰ্জাৰ কলহবোৰ আচলতে কাৰ শ্বহীদ হোৱাৰ লগে লগে জিলিকি উঠে?
उत्तर : गिरजा घरों के कलश वस्तुतः उन लोगों के बलिदान से चमकते हैं, जिन्होंने इस धर्म के प्रचार के लिए अपने को अनाम उत्सर्ग कर दिया।
(झ) आज किसके लिए चारों ओर होड़ा-होड़ी मची है ?
उत्तर : आज कंगूरे की ईंट बनने के लिए चारों ओर होड़ा-होड़ी मची है ।
(ञ) पठित निबंध में सुंदर इमारत’ का आशय क्या है ?
उत्तर : पठित निबंध में सुनदर इमारत का आशय सुंदर समाज है ।
2. अति संक्षिप्त उत्तर दो (लगभग 25 शब्दों में )
(क ) मनुष्य सत्य से क्यों भागता है ?
उत्तर : मनुष्य सत्य से भागता है क्योंकि सत्य कठोर होता है, भद्दा होता है। मनुष्य कठोरता और भद्देपन से मुख मोड़ता है। इसलिए मनुष्य सत्य से भी भागता है।
( ख ) लेखक के अनुसार कौन-सी ईंट अधिक धन्य है ?
उत्तर : लेखक का मानना है कि नींव की ईंट कंगूरे की ईंट से अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि यह इमारत की नींव रखती है। नींव मजबूत होने पर ही इमारत टिक सकती है। कंगूरा कितना भी सुंदर क्यों न हो, यदि नींव कमजोर है, तो इमारत गिर जाएगी।
(ग) नींव की ईंट की क्या भूमिका होती है ?
उत्तर : (ग) नींव की ईंट की भूमिका:
नींव की ईंट इमारत का आधार है। यह इमारत को मजबूती और स्थायित्व प्रदान करती है। नींव की ईंट की भूमिका निम्नलिखित है:
1. मजबूती: नींव इमारत को मजबूती प्रदान करती है। यह इमारत को जमीन से जोड़ता है और उसे गिरने से बचाता है।
2. स्थायित्व: नींव इमारत को स्थायित्व प्रदान करती है। यह इमारत को प्राकृतिक आपदाओं और समय के प्रभावों से बचाता है।
3. आधार: नींव इमारत का आधार है। यह इमारत के भार को सहन करता है और उसे ऊपर उठने में मदद करता है।
(घ) कंगूरे की ईंट की भूमिका स्पष्ट करो।
उत्तर : समाज के ऊँचे पदों में काम करने वालों के यश कमाने का प्रतिनिधित्व करती है कंगुरे की ईंट। लेखक इससे कहना चाहते है कि समाज की भलाई के लिये परिश्रम करते है। तीव के ईंट लेकिन अधिक सम्मान तो उसको मिलता है जो कंगुरे की ईंट वाले है। आज के लिए यह बिल्कुल सत्य है।
(ङ) शहादत का लाल चेहरा कौन-से लोग पहनते हैं और क्यों ?
কোন কোন মানুহে শ্বহীদ হোৱাৰ ৰঙা মুখখন পিন্ধে আৰু কিয়?
उत्तर :शहादत का लाल चेहरा वे लोग पहनते हैं जिन्होंने देश के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया है। यह उनके साहस, बलिदान और देशभक्ति का प्रतीक है। यह चेहरा लाल रंग का होता है जो रक्त और बलिदान का प्रतीक है।
(च) लेखक के अनुसार ईसाई धर्म को किन लोगों ने अमर बनाया और कैसे ?
(চ) লেখকৰ মতে খ্ৰীষ্টান ধৰ্মক কোনে অমৰ কৰি তুলিলে আৰু কেনেকৈ?
उत्तर : लेखक के अनुसार ईसाई धर्म को उन लोगों ने अमर बनाया, जिन्होंने उसके प्रचार के लिए अपने आप को उत्सर्ग कर दिया। इनमें से बहुत से लोगों को जिंदा जला दिए गए थे। बहुत से जंगलों के खांक छानते- छानते जंगली जानवरों के शिकार हो गए थे।
( छ ) आज देश के नौजवानों के समक्ष चुनौती क्या है ?
(ছ) আজি দেশৰ যুৱক-যুৱতীসকলৰ সন্মুখত কি প্ৰত্যাহ্বান?
उत्तर : आज देश के नौजवानों के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती यह है कि उन्हें सात हजार गाँवों, असंख्य शहरों का नवनिर्माण करना है। हजारों-लाखों कारखानों को खड़ा करना है। एक सुंदर और सुखी समाज का निर्माण करना है। इसके लिए उन्हें नींव की ईंट बनना होगा।
Long Questions:
( क ) मनुष्य सुंदर इमारत के कंगूरे को देखा करते हैं पर उसकी नींव की ओर उनका ध्यान क्यों नहीं जाता ?
उत्तर : मनुष्य सुंदर इमारत के कंगूरे को देखा करते हैं, पर उसकी नींव की ओर उनका ध्यान नहीं जाता। इसका कारण यह है कि कंगूरे दिखने में सुंदर और आकर्षक होते हैं, जबकि नींव जमीन में छिपी होती है। कंगूरे इमारत की भव्यता का प्रतीक हैं, जबकि नींव कठिन परिश्रम और समर्पण का प्रतीक है। मनुष्य अक्सर बाहरी सुंदरता और दिखावे पर अधिक ध्यान देते हैं, जबकि बुनियादी चीजों को नजरअंदाज करते हैं।
মানুহে এটা ধুনীয়া অট্টালিকাৰ শিখৰলৈ চায়, কিন্তু তাৰ ভেটিৰ প্ৰতি গুৰুত্ব নিদিয়ে। ইয়াৰ কাৰণ হ’ল খুঁটাবোৰ দেখাত ধুনীয়া আৰু আকৰ্ষণীয়, আনহাতে ভেটিটো মাটিত লুকাই আছে। কৰ্নিচবোৰে অট্টালিকাটোৰ ভৱিষ্যৎ প্ৰতীক, আনহাতে ভেটিটোৱে কঠোৰ পৰিশ্ৰম আৰু নিষ্ঠাৰ প্ৰতীক। মানুহে প্ৰায়ে বাহ্যিক সৌন্দৰ্য্য আৰু চেহেৰাৰ প্ৰতি অধিক গুৰুত্ব দিয়ে, একে সময়তে মৌলিক কথাবোৰক আওকাণ কৰে।
(ख ) लेखक ने कंगूरे के गीत गाने के बजाय नींव की गीत गाने आह्वान क्यों किया है ?
उत्तर : लेखक ने कंगूरे के गीत गाने के बजाय नींव की गीत गाने का आह्वान किया क्योंकि नींव ही इमारत का आधार है। कंगूरा भव्यता का प्रतीक है, परंतु नींव मजबूत होने पर ही इमारत टिक सकती है। नींव कठिन परिश्रम और समर्पण का प्रतीक है, जो सफलता के लिए आवश्यक हैं।
উত্তৰঃ শিঙাৰ গান গোৱাৰ পৰিৱৰ্তে লেখকে ভেটিৰ গান গোৱাৰ আহ্বান জনাইছিল কাৰণ ভেটিটোৱেই অট্টালিকাৰ আধাৰ। কাংগুৰা ভৱিষ্যৎৰ প্ৰতীক, কিন্তু এটা অট্টালিকা ভেটিটো মজবুত হ’লেহে থিয় হ’ব পাৰে। এই ভেটিটোৱে কঠোৰ পৰিশ্ৰম আৰু নিষ্ঠাৰ প্ৰতীক, যিবোৰ সফলতাৰ বাবে অতি প্ৰয়োজনীয়।
(ग) लोग सामान्यतः कंगूरे की ईंट बनना तो पसंद करते हैं, परंतु नींव ईंट बनना क्यों नहीं चाहते हैं?
उत्तर : लोग कंगूरे की ईंट बनना पसंद करते हैं क्योंकि यह दिखने में सुंदर और आकर्षक होती है। यह उन्हें प्रसिद्धि और प्रशंसा दिलाती है। परंतु नींव की ईंट बनना पसंद नहीं करते क्योंकि यह दिखाई नहीं देती और इसके लिए कठिन परिश्रम और समर्पण की आवश्यकता होती है।
উত্তৰঃ কাংগুৰে ইটা বনাবলৈ মানুহে ভাল পায় কাৰণ ই দেখাত ধুনীয়া আৰু আকৰ্ষণীয়। ই তেওঁৰ খ্যাতি আৰু প্ৰশংসা কঢ়িয়াই আনে। কিন্তু ভেটিৰ ইটা হ’বলৈ ভাল নাপাব কাৰণ ই দেখা নাযায় আৰু ইয়াৰ বাবে কঠোৰ পৰিশ্ৰম আৰু নিষ্ঠাৰ প্ৰয়োজন।
(घ) लेखक ईसाई धर्म को अमर बनाने का श्रेय किन्हें देना चाहते हैं और क्यों?
उत्तर : लेखक ईसाई धर्म को अमर बनाने का श्रेय उन धर्म प्रचारकों को देते हैं जिन्होंने धर्म प्रचार के लिए चुपचाप अपना बलिदान दिया और मौन सहन करते हुए धर्म प्रचार में लगे रहे। धर्म प्रचार करने में कितने ही लोगों की मृत्यु हो गई, उनका हिसाब नहीं है। लेकिन यह सत्य है कि उन्हीं के पुण्य-प्रयास से ही आज ईसाई धर्म एक श्रेष्ठ धर्म बन गया है। इसलिए लेखक बेनीपुरी जी ने उन अनाम शहीदों को ही श्रेष्ठ माना है।
ধৰ্ম প্ৰচাৰৰ বাবে মনে মনে প্ৰাণ আহুতি দিয়া আৰু মনে মনে সহ্য কৰি ধৰ্ম প্ৰচাৰত নিয়োজিত হৈ থকা সেই মিছনেৰীসকলক খ্ৰীষ্টান ধৰ্মক অমৰ কৰি তোলাৰ কৃতিত্ব লেখকে দিছে। ধৰ্ম প্ৰচাৰ কৰি থাকোঁতে কিমান মানুহৰ মৃত্যু হৈছিল তাৰ কোনো হিচাপ নাই। কিন্তু এইটো সঁচা যে তেওঁৰ গুণগত প্ৰচেষ্টাৰ বাবেই খ্ৰীষ্টান ধৰ্ম আজি এক উচ্চ ধৰ্মত পৰিণত হৈছে। সেইবাবেই সাহিত্যিক বেনীপুৰী জীয়ে সেই নাম নথকা শ্বহীদসকলক শ্ৰেষ্ঠ বুলি গণ্য কৰিছে।
(ङ) हमारा देश किनके बलिदानों के कारण आजाद हुआ ?
उत्तर :हमारे देश को उन असंख्य स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान के कारण आजादी मिली, जिन्होंने अपना जीवन इस उद्देश्य के लिए समर्पित कर दिया। उनकी बहादुरी, लचीलेपन और दृढ़ संकल्प ने उस स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त किया जिसका हम आज आनंद ले रहे हैं।
আমাৰ দেশখনে স্বাধীনতা লাভ কৰিছিল কাৰণ এই কাৰ্য্যত নিজৰ জীৱন উৎসৰ্গা কৰা অগণন স্বাধীনতা সংগ্ৰামীসকলৰ ত্যাগ। তেওঁলোকৰ সাহস, স্থিতিস্থাপকতা আৰু দৃঢ়তাই আজি আমি উপভোগ কৰা স্বাধীনতাৰ বাট মুকলি কৰি দিলে।
(च) दधीचि मुनि ने किसलिए और किस प्रकार अपना बलिदान दिया था ?
उत्तर : दधीचि मुनि ने देवराज इंद्र को वज्र बनाने के लिए अपनी अस्थियाँ दान कर दी थीं।
वृत्रासुर नामक राक्षस देवताओं को परेशान कर रहा था। देवताओं ने ब्रह्मा जी से पूछा तो उन्होंने कहा कि केवल दधीचि मुनि की अस्थियों से बना वज्र ही वृत्रासुर का वध कर सकता है।
दधीचि मुनि ने बिना किसी हिचकिचाहट के अपना शरीर त्याग दिया और देवताओं को अपनी अस्थियाँ दान कर दीं।
দধিচি মুনিয়ে নিজৰ হাড়বোৰ দেৱৰাজ ইন্দ্ৰক বজ্ৰপাত বনাবলৈ দান কৰিছিল।
বৃত্ৰাসুৰ নামৰ এটা অসুৰে দেৱতাক অশান্তি দি আছিল। দেৱতাসকলে ভগৱান ব্ৰহ্মাক সোধাত তেওঁ ক’লে যে দধিচি মুনিৰ হাড়ৰ পৰা নিৰ্মিত বজ্ৰজ্জাইহে বৃত্ৰাসুৰক হত্যা কৰিব পাৰে।
দধিচি মুনিয়ে কোনো সংকোচ নোহোৱাকৈ নিজৰ শৰীৰ এৰি নিজৰ ছাই দেৱতাক দান কৰিলে।
(छ) भारत के नव निर्माण के बारे में लेखक ने क्या कहा है ?
उत्तर : भारत के नवनिर्माण के बारे में लेखक ने कहा है कि सात लाख गाँवों, हजारों शहरों, और कल-कारखानों के नवनिर्माण के लिए आज ऐसे नौजवानों की जरूरत है, जिनमें कंगूरा बनने की कामना न हो। कलश बनने की जिनमें वासना न हो। जो नई प्रेरणा से अनुप्राणित हों। एक नई चेतना से अभीभूत हों।
ভাৰতৰ পুনৰ্গঠনৰ সন্দৰ্ভত লেখকে কৈছে যে সাত লাখ গাঁও, হাজাৰ হাজাৰ চহৰ, কাৰখানা পুনৰ নিৰ্মাণৰ বাবে আজি এনে যুৱক-যুৱতীৰ প্ৰয়োজন যিসকলৰ কংগুৰা হোৱাৰ হেঁপাহ নাই। কামনা নথকা পাত্ৰ হ’বলৈ। যি নতুন প্ৰেৰণাৰে অনুপ্ৰাণিত হয়। নতুন চেতনাৰে পৰিপূৰ্ণ হওক।
(ज) ‘नींव की ईंट’ शीर्षक निबंध का संदेश क्या है ?
उत्तर : नींव की ईंट शीर्षक निबंध का संदेश यह है कि आज भारत के नवनिर्माण के लिए नींव की ईंट बनने के लिए तैयार लोगों की आवश्यकता है। लेकिन विडंबना यह है कि आज कंगूरे की ईंट बनने की होड़ मची हुई है। नींव की ईंट बनने की कामना लुप्त हो गई है। आज ऐसे नवयुवकों की आवश्यकता है जो भारत के नवनिर्माण में नींव की ईंट बनकर खुद को खपा दें।
‘ভেটি ইটা’ শীৰ্ষক ৰচনাখনৰ বাৰ্তাটো হ’ল আজি ভাৰতৰ পুনৰ্গঠনৰ ভেটি ইটা হ’বলৈ সাজু হোৱা মানুহৰ প্ৰয়োজন। কিন্তু বিড়ম্বনাৰ কথাটো হ’ল আজি কাংগুৰে ইটা বনোৱাৰ প্ৰতিযোগিতা। ভেটিৰ ইটা হোৱাৰ হেঁপাহ নাইকিয়া হৈ গৈছে। আজি এনে যুৱক-যুৱতীয়ে ভাৰতৰ পুনৰ্নিৰ্মাণৰ ভেটিৰ ইটা হ’বলৈ নিজকে উৎসৰ্গা কৰিব লাগিব।
SL No | Chapter Link |
1 | नींव की ईंट |
2 | छोटा जादूगर |
3 | नीलकंठ |
4 | भोलाराम का जीव |
5 | सड़क की बात |
6 | चिट्ठियों की अनूठी दुनिया |
7 | साखी |
8 | पद-त्रय |
9 | जो बीत गयी |
10 | कलम और तलवार |
11 | कायर मत बन |
12 | मृत्तिका |
प्रश्न 4. सम्यक उत्तर दो (लगभग 100 शब्दों में)
(क) ‘नींव की ईंट’ का प्रतीकार्थ स्पष्ट करो।
Answer: “नींव की ईंट” समाज के गुमनाम योद्धाओं का प्रतीक है, जो बिना किसी पहचान की चाह के समाज को बेहतर बनाने के लिए काम करते हैं। ये वो लोग हैं जो नींव की तरह मजबूत आधार बनते हैं, वहीं “कंगूरे की ईंट” प्रसिद्धि और स्वार्थ के लिए काम करने वालों का प्रतिनिधित्व करती है। लेखक का मानना है कि स्वतंत्रता संग्राम के सैनिक “नींव की ईंट” थे, जबकि आज के नेता “कंगूरे की ईंट” बन गए हैं। युवाओं को “नींव की ईंट” बनने के लिए प्रेरित करते हुए लेखक नए भारत के निर्माण में शांति से योगदान देने का आह्वान करता है।
(ख) ‘कंगूरे की ईंट’ के प्रतीकार्थ पर सम्यक प्रकाश डालो ।
Answer: “कंगूरे की ईंट” उन लोगों का प्रतीक है जो सिर्फ नाम और इनाम के लिए समाज में ऊँचा ओहदा पाने की दौड़ में लगे रहते हैं। ये दिखावे के लिए तो काम करते हैं लेकिन असल मेहनत या बलिदान नहीं देते। लेखक का मानना है कि स्वतंत्रता के बाद ऐसे ही लोगों ने स्वार्थ के लिए होड़ मचाई और देशहित के कामों से दूर हो गए। असली समाज निर्माण तो चुपचाप योगदान देने वालों से होता है, न कि ऊँचे पदों की चमक से। हमें ऐसे निःस्वार्थ योगदान को प्रोत्साहित करना चाहिए।
(ग) ‘हाँ, शहादत और मौन-मूक ! समाज की आधारशिला यही होती है’ का आशय बताओ ।
Answer: हाँ, शहादत और मौन-मूक! समाज की आधारशिला यही होती है” इस वाक्य का मतलब है कि समाज की असली ताकत वे लोग हैं जो चुपचाप समाज के लिए त्याग और बलिदान देते हैं। ये वो गुमनाम लोग हैं जो बिना किसी पहचान या इनाम की इच्छा के अपना योगदान देते हैं और यही समाज की मजबूत नींव होते हैं।
(क) “हम कठोरता से भागते हैं, भद्देपन से मुख मोड़ते हैं, इसलिए सच से भी भागते हैं।”
Answer: बेनीपुरी जी का मानना है कि हम सच से इसलिए भागते हैं क्योंकि सच अक्सर कठोर और अप्रिय होता है। वैसे ही जैसे समाज के लिए चुपचाप काम करने वाले लोग “भद्दे” लगते हैं, वैसे ही सच भी हमें थोड़ा असहज कर सकता है। हम आसान रास्ता चुनते हैं और झूठ का सहारा ले लेते हैं। यही वजह है कि समाज में “नींव की ईंट” बनने वाले लोग कम हो रहे हैं, जो बिना किसी पहचान की इच्छा के चुपचाप योगदान देते हैं।
(ख) “सुंदर सृष्टि । सुंदर सृष्टि हमेशा बलिदान खोजती है, बलिदान ईंट का हो या व्यक्ति का ।”
Answer: बेनीपुरी जी कहते हैं कि कोई भी सुंदर सृष्टि बिना बलिदान के नहीं बनती। ठीक वैसे ही जैसे किसी इमारत की मजबूत नींव के लिए ईंटों का बलिदान जरूरी होता है, वैसे ही समाज के विकास के लिए भी लोगों का बलिदान जरूरी है। ये बलिदान चाहे गुमनाम हों, या स्वतंत्रता संग्राम जैसा बड़ा बलिदान, ये ही हर सुंदर सृष्टि की नींव होते हैं।
(ग) “अफसोस, कंगूरा बनने के लिए चारों ओर होड़ा-होड़ी मची है, नींव की ईंट बनने की कामना लुप्त हो रही है।”
Answer: बेनीपुरी जी इस अंश में व्यंग्य करते हैं कि आजकल लोग समाज के “कंगूरे” बनने की होड़ में हैं। ये ऊँचे पद पाने की दौड़ में लगे हैं, जहाँ न तो कोई त्याग होता है और न ही कठिनाई। वे असली काम से बचते हैं और सिर्फ दिखावे के लिए उत्सुक रहते हैं। लेकिन असल में समाज की नींव मजबूत करने वाले “नींव की ईंट” ही महत्वपूर्ण हैं। दुर्भाग्य से लोग नींव बनने से कतराते हैं, जो समाज के भविष्य के लिए खतरनाक है।
प्रश्न 1. निम्नलिखित शब्दों में से अरबी-फारसी के शब्दों का चयन करो
Answer: इमारत, नींव, दुनिया, शिवम, जमीन, कंगूरा, मुनहसिर, अस्तित्व, शहादत, कलश, आवरण, रोशनी, बलिदान, शासक, आजाद, अफसोस, शोहरत ।
उत्तर : अरबी : दुनिया, मुनहसिर, आवरण, रोशनी,शासक ।
फारसी : इमारत, जमीन, शहादत, आजाद, अफसोस, शोहरत ।
(वाकी संस्कृत से आए हिन्दी शब्द)
प्रश्न 2. निम्नलिखित शब्दों का प्रयोग करके वाक्य बनाओ
1. चमकीली:
- आकाश में चमकीले तारे देखकर बच्चा मोहित हो गया।
- चमकीली रोशनी से आँखें चुंध गईं।
- चमकीली हसी से सारा माहौल खिल उठा।
2. कठोरता:
- कठोर परिश्रम से ही सफलता मिलती है।
- कठोर शब्दों ने उसका मन दुखा दिया।
- जीवन की कठोरता ने उसे मजबूत बना दिया।
3. बेतहाशा:
- लोगों ने बेतहाशा पैसा खर्च कर दिया।
- बारिश बेतहाशा हो रही है।
- बेतहाशा खाना सेहत के लिए हानिकारक है।
4. भयानक:
- भयानक दुर्घटना में कई लोग घायल हो गए।
- भयानक दृश्य देखकर उसकी रूह कांप उठी।
- भयानक आवाज सुनकर वह डर गया।
5. गिरजाघर:
- गिरजाघर की घंटियां बज रही हैं।
- वह रोज सुबह गिरजाघर जाकर प्रार्थना करता है।
- गिरजाघर शहर का एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थान है।
6. इतिहास:
- इतिहास से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है।
- यह घटना इतिहास का हिस्सा बन गई है।
- हमें अपने इतिहास पर गर्व करना चाहिए।
प्रश्न 3. निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध करो
(क) नहीं तो, हम इमारत की गीत नींव की गीत से प्रारंभ करते ।
उत्तर : नहीं तो, हम इमारत के गीत नींव के गीत से प्रारंभ करते ।
(ख) ईसाई धर्म उन्हीं के पुण्य प्रताप से फल-फुल रहे हैं
उत्तर : ईसाई धर्म उनके पुण्य प्रताप से फल-फुल रहा हैं।
(ग) सादियों के बाद नए समाज की सृष्टि की ओर हम पहला कदम बढ़ाए हैं।
उत्तर : सादियों के बाद नए समाज की सृष्टि की ओर हमने पहला कदम बढ़ाए हैं।
(घ) हमारे शरीर पर कई अंग होते हैं।
उत्तर : हमारे शरीर में कई अंग होते हैं ।
(ङ) हम निम्नलिखित रूपनगर के निवासी प्रार्थना करते हैं।
उत्तर : हमें निम्नलिखित रूपनगर के निवासी प्रार्थना करते हैं ।
(च) सव ताजमहल की सौन्दर्यता पर मोहित होते हैं।
उत्तर : सव ताजमहल की सौन्दर्य पर मोहित होते हैं।
(छ) गत रविवार को वह मुंबई जाएगा।
उत्तर : गत रविवार को वह मुंबई गये ।
(ज) आप कृपया हमारे घर आने की कृपा करें।
उत्तर : आप कृपया हमारे घर आए।
(झ) हमें अभी बहुत बातें सीखना है ।
उत्तर : हमें अभी बहुत बातों को सीखना हैं ।
(ञ) मुझे यह निबंध पढ़कर आनंद का आभास हुआ।
उत्तर : मैंने यह निबंध पढ़कर आनन्द का आभास पाया।
प्रश्न 4. निम्नलिखित लोकोक्तियों का भाव-पल्लवन करो :
(क) अधजल गगरी छलकत जाए।
उत्तर : इसका अर्थ यह है कि बह घड़ा हमेशा छलकती रहा है जिसमे जल पुरी तरह भरा नहीं होता। यदि घड़ा पुरी तरह भरा होता तो पानी इधर उधर छलकने का डर नहीं होता। जो घड़ा खाली रहता है, उससे जल के छलकनेका डर रहता है, पानी छलकता रहता है।
इसी प्रकार जिस व्यक्ति में गंभीरता और सम्पन्नता रहती है वह बोलता कम है, उचित समय पर सही काम कर देता है। वास्तविकता यह है कि जो काम करता है वह दम्भ नही करता है, जो बरसता है वे गरजता नही, जो नहीं जानता है वे दिखाने का प्रयत्न करता है, किन्तु जो अधाभरा है वह छलक छलकर अपने को व्याप्त करने को कौशिश करता है। इसलिए कहा जाता है-अधजल गगरी छलकत जाए।
(ख) होनहार बिरबान के होत चिकने पात ।
उत्तर: जो बड़ा होकर प्रसिद्ध बनता है बचपन से भी उनका परिचय मिलता है। जैसे शिवाजी के बचपन से ही वीरता का प्रमाण हमको मिले थे। सतंत्र राज्य स्थापना को कल्पना वह बचपन से ही करते थे और आखिर एक दिन सफल भी हुए।
(ग) अब पछताए क्या होत जब चिडिय़ा चुग गई खेत।
उत्तर : इससे यह कहने की कोशिश करता है कि समय का काम समय पर नहीं करने से क्या नुकसान होता है यह बात सोचकर पछताने से कोई लाभ नही होगा। करने वाला काम समय मे ही करना चाहिए। विद्यार्थी समय पर नहीं पढ़ता, गाड़ी पकड़ने वाले समय पर स्टेसन नहीं पहुंचता तो पछताना जरुर होगा। अतः जो लोग समय का मुल्य को नहीं जानता है वह जीवन में उन्नति नहीं कर सकते।
(घ) जाको राखे साइयॉ मार सके न कोय ।
उत्तर: इससे यह कहा जाता है जिसको भगवान सहायता करते है उसको किसी ने भी मार नहीं सकते। प्रत्येक जीवों को भगवान सहायता करते है, सहारा देती है। जीवित रहने के शक्ति देते है। लेकिन इसके लिए हमे भगवान के नाम लेना चाहिए। हमे भगवान के प्रति विश्वासी होना चाहिए। हमको भी भगवान जीने के शक्ति देते है। इसको कहते हैं जाको राखे साइयाँ मार सके न कोई।
प्रश्न 5. निम्नलिखित शब्दों के दो-दो अर्थ बताओ :
अंबर, उत्तर, काल, नव, पत्र, मित्र, वर्ण, हार, कल, कनक ।
उत्तर : अंबर : आकाश , व्योम ।
उत्तर : दिशा, जवाब।
काल : समय, नियति।
नव : नया , नूतन ।
पत्र : चिठ्ठी , खत ।
मित्र : दोस्त , बंधु ।
वर्ण : अक्षर , श्रेणी ।
हार : पराजय , पराभब ।
कल : ध्वनि , वीर्य ।
कनक : स्वर्ण , सोना ।
प्रश्न 6. निम्नलिखित शब्दों-जोड़े के अर्थ का अंतर बताओ :
अगम : जहाँ गमन नहीं किया जाता है (अगम्य)।
दुर्गम : जहाँ गमन करना मुश्किल है।
अपराध : दोष।
पाप : अधर्म ।
अस्त्र : हथियार
शस्त्र : निक्षेप करनेवाली हथियार
आधि : मानसिक व्याथा ।
व्याधि : बीमार ।
दूख : क्लेश ।
खेद : थकावट
स्त्री : औरत
पत्नी : अर्धांगिनी ।
आज्ञा : आदेश ।
अनुमति : स्वीकृति ।
अहंकार : अभिमान।
गर्व : समर्थवान अंहभाव