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Class 10 Hindi Chapter 2 Assamese Medium
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छोटा जादूगर
प्रश्न 1. सही विकल्प का चयन करो
(क) बाबु जयशंकर प्रसाद का जन्म हुआ था ?
(अ) काशी में। (आ) इलाहाबाद में।
(इ) पटना में। (ई) जयपुर में।
उत्तर : (अ) काशी में ।
(ख) जयशंकर प्रसाद जी का साहित्यिक जीवन किस नाम से आरंभ हुआ था ?
(अ) ‘विद्याधर’ नाम से। (आ) ‘कलाधर’ नाम से।
(इ) ‘ज्ञानधर’ नाम से। (ई) ‘करुणाधर’ नाम से।
उत्तर : (ई) ‘करुणाधर’ नाम से।
(ग) प्रसाद जी का देहवसान हुआ-
(अ) 1935 ई. में। (आ) 1936 ई. में।
(इ) 1937 ई. में। (ई) 1938 ई. में।
उत्तर : (इ) 1937 ई.।
(घ) कार्निवाल के मैदान में लड़का चुपचाप किनको देख रहा था ?
(अ) चाय पीने वालों को। (आ) मिठाई खाने वालों को।
(इ) गाने वालों को। (ई) शरबत पीने वालों को।
उत्तर : (ई) शरबत पीने वालों को ।
(ङ) लड़के को जादुगर का कौन-सा खेल अच्छा मालूम हुआ ?
(अ) खिलौने पर निशाना लगाना। (इ) तीर से नम्बर छेदना।
(आ) चूड़ी फेंकना। (ई) ताश का खेल दिखाना।
उत्तर : (अ) खिलौने पर निशाना लगाना ।
प्रश्न 2. पूर्ण वाक्य में उत्तर दो :
(क) जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित प्रथम कहानी का नाम क्या है ?
उत्तर : जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित प्रथम कहानी का नाम ‘ग्राम’ है।
(ख) प्रसाद जी द्वारा विरचित महाकाव्य का नाम बताओ ?
उत्तर : प्रसाद जी द्वारा विरचित महाकाव्य है कामायणी ।
(ग) लड़का जादूगर को क्या समझता था ?
उत्तर : जादूगर बिलकूल निकम्मा है।
(घ) लड़का तमाशा देखने परदे में क्यों नहीं गया था ?
उत्तर : क्योंकि परदे में जाने में टिकट लगता था।
(ङ) श्रीमान ने कितने टिकट खरीद कर लड़के को दिए थे ?
उत्तर : श्रीमान ने बारह टिकट खरीद कर लड़के को दे दिया।
(च) लड़के ने हिंडोले से अपना परिचय किस प्रकार दिया था ?
उत्तर : लड़के ने हिंडोल से अपना परिचय “मैं हूँ छोटा जादुगर” कहकर दिया था।
(छ) बालक (छोटे जादुगर) को किसने बहुत ही शीघ्र चतुर बना दिया था ?
उत्तर : बालक को आवश्यकता ने शीघ्र ही चतुर बना दिया था।
(ज) श्रीमान कलकत्ते में किस अवसर पर की छुट्टी बिता रहे थे ?
उत्तर : श्रीमान जी ने कलकत्ते में बड़े दिन के छुट्टी बिता रहे थे।
(झ) सड़क के किनारे कपड़े पर सजे रंगमंच पर खेल दिखाते समय छोटे जादूगर की वाणी में स्वभाव सुलभ प्रसन्नता की तरी क्यों नहीं थी ?
उत्तर : क्योंकि उस दिन उसके माँ ने जल्दी ही लौटने को कहा था।
(ञ) मृत्यु से ठीक पहले छोटे जादूगर की माँ के मुँह से कौन सा अधुरा शब्द निकला था ?
उत्तर : मृत्यु के ठीक आगे उसके माँ के मुँह से “बे… जैसे अधुरा शब्द निकला था।
प्रश्न 3. अति संक्षिप्त उत्तर दो (लगभग २५ शब्दों में):
(क) बाबू जयशंकर प्रसाद की बहुमुखी प्रतिभा का परिचय किन क्षेत्रों में मिलता है ?
उत्तर : बाबू जयशंकर प्रसाद की बहुमुखी प्रतिभा का परिचय साहित्य, संगीत, नाटक, और चित्रकला जैसे क्षेत्रों में मिलता है। वे एक महान कवि, नाटककार, उपन्यासकार, और चित्रकार थे। उनकी रचनाओं में ‘कामायनी’, ‘आँसू’, ‘चित्राधार’, ‘लहर’ और ‘स्कंदगुप्त’ जैसी प्रसिद्ध रचनाएं शामिल हैं। उन्होंने हिंदी साहित्य में एक नया युग शुरू किया और हिंदी भाषा को समृद्ध किया। उन्हें हिंदी साहित्य के ‘छायावाद’ युग का प्रमुख कवि माना जाता है।
(ख) श्रीमान ने छोटे जादूकर को पहली भेंट के दौरान किस रूप में देखा था ?
उत्तर : श्रीमान ने छोटे जादूगर को पहली भेंट के दौरान एक भिखारी के रूप में देखा था। वह फटे कपड़े पहने हुए था और उसके चेहरे पर गंदगी लगी हुई थी। वह श्रीमान से कुछ पैसे मांग रहा था।
(ग) “वहाँ जाकर क्या कीजिएगा ?” छोटे जादूगर ने ऐसा कब कहा था ?
उत्तर : छोटे जादूगर ने श्रीमान से पहली मुलाकात के दौरान यह बात कही थी। यह बात उसकी आर्थिक स्थिति, सामाजिक स्थिति और आत्मसम्मान को दर्शाती है.
(घ) निशानेबाज के रूप में छोटे जादूगर की कार्य कुशलता का वर्णन करो।
उत्तर: निशानेबाज के रूप में छोटा जादूगर एक पक्का निशानेबाज निकला। जिसका एक भी गेंद खाली नहीं गया। खिलौने गिराने के खेल में उसने बारह गेंदों में बारह खिलौने बटोर लिए।
(ङ) कलकत्ते के बोटानिकल उद्यान में श्रीमान श्रीमती को छोटा जादूगर किस रूप में मिला था ?
उत्तर : कलकत्ते के बोटानिकल उद्यान में छोटा जादूगर हाथ में चारखाने की खादी का झोला। साफ जाँधिया और आँधी बाहों का कुर्ता, इसी वेश से मस्तानी साल से झूमता हुआ आ रहा था।
(च) कलकत्ते मे बोटानिकल उद्यान में श्रीमान ने जब छोटे जादूगर को ‘लड़के!’ कहकर संबोधित किया, तो उत्तर में उसने क्या कहा ?
उत्तर : कलकत्ते के बोटानिकल उद्यान में जब श्रीमान जीने छोटा जादूगर को लड़के कहा था तब उसने उत्तर दिया था कि- “छोटा जादूगर कहिए। यही मेरा नाम है ।
(छ) “आज तुम्हारा खेल जमा क्यों नहीं ?” इस प्रश्न के उत्तर में छोटे जादूगर ने क्या कहा ?
उत्तर : श्रीमान जी ने जब पूछा कि-“आज तुम्हारा खेल जमा क्यों नहीं। छोटा, जादूगर ने इस प्रश्न के उत्तर में कहा कि- “माँ ने आज तुरंत चले आने को कहा। उनके पास समय नहीं है ।
4. संक्षिप्त उतर दो (लगभग ५० शब्दों )
(क) जयशंकर प्रसाद जी की कहानियों की विशेषताओं का उल्लेख करो।
उत्तर: जयशंकर प्रसाद जी की कहानियों में निम्नलिखित विशेषताएं हैं:
- ऐतिहासिकता: उनकी कहानियों में ऐतिहासिक घटनाओं और पात्रों का प्रयोग हुआ है।
- कल्पना: उनकी कहानियों में कल्पनाशीलता का भरपूर प्रयोग हुआ है।
- भाषा: उनकी कहानियों की भाषा सरल, सुंदर और प्रभावशाली है।
- पात्र: उनकी कहानियों के पात्र जीवंत और प्रभावशाली होते हैं।
- भावना: उनकी कहानियों में भावनाओं का सुंदर चित्रण होता है।
- विषय: उनकी कहानियों के विषय विविध और रोचक होते हैं।
उनकी कहानियों में ‘छोटा जादूगर’, ‘आकाशदीप’, ‘इंद्रजाल’, ‘कंकाल’, ‘तितली’, ‘इरावती’ आदि शामिल हैं।
(ख) “क्यों जी, तुमने इसमें क्या देखा ?” इस प्रश्न का उत्तर छोटे जादूगर ने किस प्रकार दिया था ?
उत्तर: लेखक के पूछने पर, जादूगर निःसंकोच होकर कहने लगा, “जी, मैंने सब देखा। यहाँ लोग चूड़ी फेंकते हैं, खिलौनों पर निशाना लगाते हैं, और तीर से नंबर छेदते हैं। मुझे लगता है कि मैं ताश के खेल में इनसे बेहतर प्रदर्शन कर सकता हूँ।”
(ग) अपने माँ-बाप से संबंधित प्रश्नों के उत्तर में छोटे जादूगर ने क्या क्या कहा था ?
उत्तर : अपने माँ बाप के संबंधित प्रश्नों के उत्तर में छोटे जादुगर ने कहा कि ―बाबुजी जेल में है और मैं भी जेल जाना चाहता था, पर माँ के कारण जान पाया। मेरे जाने के बाद माँ को कौन देखेगा। मुझे भी इच्छा होती है, देश की सेवा करने की, पर माँ भी तो मातृभूमि जैसी ही प्यारी है। एक माँ की सेवा न कर पाया तो क्या हुआ अपनी माँ की सेवा तो कर पाऊँगा। मैं यह खेल तमाशा दिखाकर जो कुछ पैसे ले जाऊँगा, तो माँ को पथ्य दूंगा। वह गर्व से बोला था।
(घ) श्रीमान ने तेरह-चौदह वर्ष के छोटे जादूगर को किसलिए आश्चर्य से देखा था ?
उत्तर : श्रीमान ने तेरह-चौदह वर्ष के छोटे जादूगर को निम्नलिखित कारणों से आश्चर्य से देखा था:
1. उसकी समझदारी और परिपक्वता: छोटे जादूगर ने श्रीमान के प्रश्नों का उत्तर बड़ी समझदारी और परिपक्वता से दिया।
2. उसकी विनम्रता: छोटे जादूगर ने श्रीमान के प्रति विनम्रता और सम्मान का व्यवहार किया।
3. उसकी कठिन परिस्थिति: छोटे जादूगर की माँ बीमार थी और उसके पिता जेल में थे। श्रीमान उसके साहस और धैर्य से प्रभावित हुए।
4. उसकी प्रतिभा: छोटे जादूगर ने अपनी जादूगरी की प्रतिभा से श्रीमान को चकित कर दिया।
5. उसकी जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण: छोटे जादूगर ने अपनी कठिन परिस्थिति के बावजूद भी जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखा।
(ङ) श्रीमती के आग्रह पर छोटे जादूगर ने किस प्रकार अपना खेल दिखाया?
उत्तर : श्रीमती के अनुरोध पर, छोटे जादूगर ने अपने खिलौनों के माध्यम से एक अद्भुत खेल प्रस्तुत किया। बिल्सी रूठती है, भालू उसे मनाता है, बंदर घुड़कता है, और गुड़िया का विवाह होता है। विवाह में, वर गुड्डा काना निकलता है। छोटे जादूगर ने अपनी कहानी और खेल से सभी का मन मोह लिया।
SL No | Chapter Link |
1 | नींव की ईंट |
2 | छोटा जादूगर |
3 | नीलकंठ |
4 | भोलाराम का जीव |
5 | सड़क की बात |
6 | चिट्ठियों की अनूठी दुनिया |
7 | साखी |
8 | पद-त्रय |
9 | जो बीत गयी |
10 | कलम और तलवार |
11 | कायर मत बन |
12 | मृत्तिका |
(च) हवड़ा की ओर आते समय छोटे जादूगर और उसकी माँ के साथ श्रीमान की भेंट किस प्रकार हुई थी ?
उत्तर : लेखक लताकुंज से लौटते समय छोटे जादूगर की बातों को सोच रहे थे। तभी उन्हें वह झोपड़ी के पास दिखाई दिया। लेखक ने गाड़ी रोककर उससे पूछा तो उसने बताया कि उसकी माँ अब यहीं रहती है क्योंकि अस्पताल वालों ने उन्हें निकाल दिया है। यह सुनकर लेखक गाड़ी से उतरकर झोपड़ी में गए। वहाँ उसकी माँ फटे कपड़ों में काँप रही थी। छोटा जादूगर कंबल को माँ के शरीर पर डालकर चिपक गया। यह दृश्य देखकर लेखक की आँखों में आँसू आ गए।
(छ) सड़क के किनारे कपड़े पर सजे रंगमंच पर छोटा जादूगर किस मतःस्थिति और किस प्रकार खेल दिखा रहा था ?
उत्तर : सड़क के किनारे सजे रंगमंच पर छोटे जादूगर ने उस दिन बड़ी दुखी मानसिक अवस्था में खेल दिखाने का प्रयास किया था। उस दिन उसके मन में प्रसन्नता नहीं थी। जब वह दूसरों को हंसाने की कोशिश कर रहा था, उस समय वह कांप रहा था। खेल खत्म होने पर जितनी जल्दी हो सके उतनी ही जल्दी वह घर लौटने की तैयारी कर रहा था। क्योंकि माँ ने उस दिन घर जल्दी लौट आने को कहा था। “उसकी घड़ी समीप है” यह कथन लड़के के कानों में बज रहा था। इसलिए वह बहुत ही कठिन मानसिक अवस्था में खेल दिखा रहा था।
(ज) छोटे जादूगर और उसकी माँ के साथ श्रीमान की अंतिम भेंट का अपने शब्दों में वर्णन करो।
उत्तर : लेखक ने छोटे जादूगर को सड़क किनारे खेलते हुए देखा, लेकिन उसकी आवाज में उत्साह नहीं था। जब लेखक ने पूछा तो उसने बताया कि उसकी माँ ने उसे जल्दी बुलाया है।
माँ ने कहा कि उसकी मृत्यु निकट है। लेखक गुस्से में छोटे जादूगर को लेकर उसकी झोपड़ी में पहुंचे।
छोटा जादूगर माँ-माँ पुकारता हुआ झोपड़ी में घुसा, लेखक भी पीछे थे।
लेकिन तब तक माँ के मुँह से केवल ‘वे…’ शब्द ही निकला और उसके हाथ गिर गए।
छोटा जादूगर माँ से लिपटकर रोने लगा। लेखक स्तब्ध थे और उनके मुँह से आवाज भी नहीं निकली।
(क) बाबू जयशंकर प्रसाद की साहित्यिक देन का उल्लेख करो ।
उत्तर : कवि हृदय वाले जयशंकर प्रसाद मूलतः भारतीय संस्कृति से जुड़े हुए था। आप छायावादी काव्यधारा के प्रतिनिधि कवि के रूप में प्रतिष्ठित हुई। आपकी काव्य रचनाएँ भारतीय साहित्य के अमूल्य देन माना जाता है। जैसे उर्वशी, वन मिलन, रामराज्य, अयोध्या का उद्धार, शोकोच्छवास, बभ्रुवाहन, कानन कुसुम, प्रेमपथिक, करुणालय, महाराणा का महत्व, झरना, आँसू (खण्डकाव्य), लहर, कामायनी (महाकाव्य) आदि है।
प्रसाद जी द्वारा रचित निम्नलिखित है-सज्जन कल्याणी-परिणय, प्रायश्चित, राजश्री, अजातशत्रु, जन्मेजय का नागयज्ञ, कामना, स्कन्दगुप्त आदि। चन्द्रगुप्त और ध्रुवस्वामिनी जैसे उपन्यास भी प्रसाद जी ने रचना की है। कंकाल, तितली और इरावती जैसे आपके निबंध हैप्रसाद जी ने लगभग सत्तर कहानियाँ लिखी है। छाया, प्रतिध्वनि, आकाशदीप, आधी, इन्द्रजाल आपके कहानी संकलित है। प्राय कहानियों में चारित्रिक उदारता, प्रेम, करुणा, त्याग वलिदान, अतीत के प्रति मोह का भावात्मक समावेश हुआ। आपने समकालीन सामाजिक व्यवस्था, अन्याय शोषणता जैसे प्रतिवादी भावों का भी अभिव्यक्त किया ।
(ख) छोटे जादूगर के मधुर व्यवहार एवं स्वाभिमान पर प्रकाश डालो।
उत्तर : प्रसाद जी के छोटा जादूगर पाठ में एक तेरह-चौदह साल उम्र वाले लड़का को किस रूप में प्रतिष्ठित किया इस में प्रसाद जी के कार्यकुशलता परिस्फुट हुआ है। पाठ के आधार पर लड़के के माध्यम से उसके मधुर व्यवहार, स्वाभिमान सुन्दर रूप में दिखाया है। कर्नवाल के मैदान में जब बिजली-जगमगाते रहते थे उस समय एक साधारण बालक अपने गंभीर भावों से, धैर्य के साथ एक कौने में चुपचाप खड़ा रहा। श्रीमान जी ने पूछने पर वह जितनी मधुर व्यवहार से उत्तर दिया, ऐसी व्यवहार उस उम्र वालों में आशा नहीं किया जा सकता। जैसे परदे में जाने के बारे में पूछने पर अत्यंत साधारण से जवाब दिया टिकट लगता है।
अपने माँ-बाप के परिचय बड़े स्वाभिमान से उत्तर दिया। बाप जेल में है लेकिन देश के लिए ही जेल में गया। चोरी के लिए नहीं। इसलिए वह बड़ा गर्व करते है इस बात पर। बाप जेल में हैं इस पर वह दुख अथवा लज्जा पाने का कोई कारण नहीं । उसी प्रकार अपने बिमारी माता के लिए जो कर्तव्य पालन किया इससे उसके मातृभक्ति परिस्कार हुआ। वह परिश्रम करके अपने माता को बड़े गर्व से सेवा करता है। परिश्रम में अर्थात खेल दिखाने में वह हमेशा प्रसन्नभाव से करते है। इसमें आपके मधुर व्यवहारों के साथ स्वाभिमान थी प्रकट हुआ।
Class 10 Assamese Boisitramoi Axom Question Answer
(ग) छोटे जादूगर की चतुराई और कार्य कुशलता का वर्णन करो
उत्तर : छोटे जादूगर की मधुर व्यवहार के साथ चतुराई और कार्यकुशलता भी पाठ में प्रसाद जी ने बड़ी अच्छी से उपस्थापन किया श्रीमान जी ने लड़के को जब बारह टिकट खरीद कर दिया इससे बारह गेंद से बारह खिलोने पर निशाना लगाकर गिरा दिया और बटोर लिया। वास्तव में वह एक पक्का निशानेबाज है। अपनी चतुराई तथा मधुर व्यवहार से श्रीमानजी को आकर्षित किया। वह बड़ी कुशलता से झुले में हिन्दोल कर लोगों को भी आकर्षित किया। वही खिलोने को लेकर कलकत्ते के वोटानिकल उद्यान में जिस कुशलता से खेल दिखाया और सभी को अपनी कुशलता से सजीब बनाया। मानो ऐसा है कि लड़का का हाथों से सभी खिलोने प्राण पाया। इसके बाद छोटे जादूगर के कार्य कुशलता का प्रमाण मिलता है कि खेल दिखाकर पैसे से माँ को सेवा करने के लिए तत्पर है। इस प्रकार से हमे छोटे जादूगर के कार्य कुशलता का परिचय मिलता है।
(घ) छोटे जादूगर के देश-प्रेम और मातृ-भक्ति का परिचय दो
उत्तर : ‘छोटा जादूगर प्रसाद जी की एक ऐसी मनोरम कहानी है, जिसमें आर्थिक विपन्नता और प्रतिकूल परिस्थितियों से संघर्ष करते हुए तेरह-चौदह साल के एक लड़के के चरित्र को आदर्शात्मक रूप में उभारा गया है। परिस्थिति की माँग से एक बालक किस प्रकार अपने पाँवों पर खड़ा हो जाता है उसका यहाँ हृदयग्राही चित्रण हुआ है। छोटे जादुकर के रूप में प्रस्तुत बालक के मधुर व्यवहार, चतुराई, क्रिया कौशल, स्वाभिमान, देशप्रेम और मातृ-भक्ति से पाठक का मन सहज ही द्रवीभूत हो उठता है।
(ङ) छोटे जादूगर की कहानी से तुम्हें कौन-सी प्रेरणा मिलती है ?
उत्तर : छोटे जादूगर कहानी से हमें प्रेरणा मिलती है कि जीवन में आर्थिक विपन्नता और प्रतिकूल परिस्थितियों में भी कभी हार नहीं मानना चाहिए। वरन उससे सामना करके अपने को प्रतिष्ठित करना चाहिए। परिश्रम से चरित्र बनता है। लड़का ही इसका उदाहरण। हमे भी छोटे जादूगर के तरह मधुर व्यवहार, कुशलता से दूसरों को आकर्षित करने के कोशिश करना चाहिए। सच्चा कार्यों में हमे गर्व करना सीखना चाहिए। जिस प्रकार छोटे जादूगर ने किया। उसके बाप देश के लिए जेल में है। इसमें वह गर्व करते है। हमे भी उसी से स्वाभिमानी होना चाहिए। मातृ के प्रति जो कर्तव्य हमे भी पालन करना चाहिए। लड़का इसका उदाहरण होकर हमें शिक्षा देते हैं।
प्रश्न 6. सप्रसंग व्याख्या करो
(क) “मैं उसकी ओर न जाने क्यों आकर्षित हुआ। उसके अभाव में भी संपूर्णता थी।”
उत्तर : प्रस्तुत व्याख्या पंक्ति जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित छोटा जादूगर पाठ से लिया गया है। यहा लेखक प्रसाद जी ने छोटा जादूगर के प्रति श्रीमानजी किस प्रकार आकर्षित हुआ इसका उल्लेख किया है। व्याख्या के अनुसार प्रसादजी कहा है कि एक श्रीमान जीने कर्निवाल मैदान में खेल देखने के लिए आते समय देखा कि एक तेरह-चौदह उम्रवाले लड़का छोटे फुहारे के पास चुपचाप खड़ा था। देखने मे गरीब तथा आँखों में उज्ज्वल गंभीर भावों के साथ धैर्य का स्पष्ट निशान था। देखने में लगा कि सम्पूर्ण अभावी लगता था। लेकिन लड़का का व्यवहार ने श्रीमानजी को आकर्षित किया। कभी किसी को सुन्दर चेहरे ने आकर्षण नहीं किया जाता है। यह आकर्षण ऐसे ही होता है जो आप या कोई नहीं जानता है। इससे हमे यह शिक्षा मिलती है कि विशेष रूप से अपने व्यवहार से ही किसी को आकर्षित किया. जाता है। धन दौलत से नहीं।
(ख) “श्रीमती की वाणी में वह माँ की सी मिठास थी, जिसके सामने किसी भी लड़के को रोका नहीं जा सकता।”
उत्तर : प्रस्तुत व्याख्या जयशंकर प्रसाद के छोटा जादूगर कहानी से लिया गया है। यहाँ श्रीमती जी की प्यार भरा कथन से लड़का किस प्रकार खेल दिखाने के लिए प्रस्तुत हो गये इसका वर्णन दिया गया है
एक दिन श्रीमान अपनी पत्नी तथा दोस्तों के साथ वोटानिकल उद्यान में जलपान कर रहा था इतने में वही छोटा जादूगर पहुँच गया वहाँ पर। लड़का ने बाबूजी को खेल दिखाना चाहता था लेकिन वह माना किया क्यों कि उस समय वे जलपान किया करते थे। फिर लड़का कुछ कहने पर श्रीमान जी ने गाली भड़ी। इस समय श्रीमतीजी ने बड़े प्यार से लड़के को खेल दिखाने को कहा। श्रीमती कहने पर लड़का बड़ा प्रफुल्लित हो गया। मानों ऐसा लगता है कि उसके माँ ने उसको प्यार भरी। श्रीमती जी ने इतनी मिठास से कही थी कि ऐसी आदेश कोई भी नहीं कहेगा।