सड़क की बात | Class 10 Hindi Chapter 5 Assamese Medium

Presenting Here Class 10 Hindi Chapter 5 Assamese Medium Question Answer. Dear Students in Here You Can find Your Class 10 Hindi (E) Chapter 5 (सड़क की बात) Question Answer And it’s Explanation. here You can find Your Chapter 5 Common Question Answer for Assamese Medium Students.

Class 10 Hindi Chapter 5 Assamese Medium

Class 10 Hindi Chapter 5 Assamese Medium

SEBA class 10 hindi chapter 5 question answer assamese medium,class 10 hindi chapter 5 question answer,class 10 hindi chapter 5 assamese medium question answer,class 10 hindi lesson 5 question answer,class 10 hindi lesson 5 question answer seba, सड़क की बात प्रश्न उत्तर class 10

Q1: सड़क किसकी तरह सो रही है?

A1: सड़क किसी चिरनिद्रित सुदीर्घ अजगर की तरह सो रही है।

Q2: सड़क कितने दिनों से बेहोशी की नींद सो रही है?

A2: सड़क बहुत दिनों से बेहोशी की नींद सो रही है।

Q3: सड़क किसकी छाया में सो रही है?

A3: सड़क पेड़ों की छाया में सो रही है।

Q4: सड़क किसकी धूल में लोटकर शाप की आखिरी घड़ियों का इंतजार कर रही है?

A4: सड़क अपनी धूल में लोटकर शाप की आखिरी घड़ियों का इंतजार कर रही है।

Q5: सड़क हमेशा से कहाँ स्थिर है?

A5: सड़क हमेशा से जहाँ-तहाँ स्थिर है।

Q6: सड़क किस सेज पर सो रही है?

A6: सड़क अपनी कड़ी और सूखी सेज पर सो रही है।

Q7: सड़क अपने सिरहाने के पास क्या नहीं खिला सकी?

A7: सड़क अपने सिरहाने के पास एक छोटा-सा नीले रंग का वनफूल भी नहीं खिला सकी।

Q8: सड़क क्या महसूस कर सकती है?

A8: सड़क बोल नहीं सकती पर अंधे की तरह सब कुछ महसूस कर सकती है।

Q9: सड़क दिन-रात क्या सुनती है?

A9: सड़क दिन-रात पैरों की ध्वनि, सिर्फ पैरों की आहट सुनती है।

Q10: सड़क किसके कदमों में न आशा है, न अर्थ है?

A10: सड़क जिसके पास घर नहीं, आश्रय नहीं, उसके कदमों में न आशा है, न अर्थ है।

Q11: सड़क किसके लिए घर नहीं है?

A11: सड़क किसी का घर नहीं है।

Q12: सड़क सबको किस चीज तक ले जाती है?

A12: सड़क सबको घर तक ले जाती है।

Q13: सड़क पर चलने वालों को क्या संताप देता है?

A13: सड़क पर चलने वालों को दूर का रास्ता संताप देता है।

Q14: सड़क उन्हें किस चीज से पहुँचाती है?

A14: सड़क उन्हें उनके घर के द्वार तक पहुँचाती है।

Q15: घर पहुँचने पर लोग क्या करते हैं?

A15: घर पहुँचने पर लोग आराम करते हैं, आनंद मनाते हैं, सुख सम्मिलन करते हैं और बिछुड़े हुए मिलते हैं।

Q16: सड़क पर चलने वाले लोग किस भाव को दर्शाते हैं?

A16: सड़क पर चलने वाले लोग थकावट का भाव दर्शाते हैं।

Q17: सड़क पर चलना उन्हें क्या लगता है?

A17: सड़क पर चलना उन्हें अनिच्छाकृत श्रम लगता है।

Q18: सड़क को लोग किस चीज का कारण मानते हैं?

A18: सड़क को लोग विच्छेद का कारण मानते हैं।

Q19: सड़क को कृतज्ञता क्यों नहीं मिलती?

A19: सड़क को कृतज्ञता इसलिए नहीं मिलती क्योंकि लोग अपने घर पहुँचने के सुख में सड़क के योगदान को भूल जाते हैं।

Q20: सड़क खुद को किस रूप में देखती है?

A20: सड़क खुद को सिर्फ एक उपाय के रूप में देखती है, किसी के लक्ष्य के रूप में नहीं।

Q21: सड़क के पास कौन आकर हँसता-खेलता है?

A21: सड़क के पास छोटे-छोटे बच्चे आकर हँसते-खेलते हैं।

Q22: बच्चे सड़क पर क्या करते हैं?

A22: बच्चे सड़क पर खेलते हैं और अपना घर का आनंद सड़क पर ले आते हैं।

Q23: बच्चे सड़क पर क्या-क्या छोड़ जाते हैं?

A23: बच्चे सड़क पर स्नेह, प्यार और स्नेह छोड़ जाते हैं।

Q24: सड़क उन बच्चों के स्नेह का जवाब कैसे देती है?

A24: सड़क उन बच्चों के स्नेह का जवाब नहीं दे पाती।

Q25: सड़क छोटे-छोटे कोमल पाँवों को कैसा अनुभव करती है?

A25: सड़क छोटे-छोटे कोमल पाँवों को बड़ी कठिन अनुभव करती है।

Q26: उस समय सड़क की क्या साध होती है?

A26: उस समय सड़क की कुसुम कली की तरह कोमल होने की साध होती है।

Q27: सड़क उनसे क्या पूछती है?

A27: सड़क उनसे पूछती है कि अरुण चरण ऐसी कठोर धरती पर क्यों चलते हैं?

Q28: सड़क किन लोगों को अच्छी तरह पहचानती है?

A28: सड़क उन लोगों को अच्छी तरह पहचानती है जो प्रतिदिन नियमित रूप से उसके ऊपर चलते हैं।

Q29: सड़क उन लोगों के लिए कितनी प्रतीक्षा करती है?

A29: सड़क उन लोगों के लिए बहुत प्रतीक्षा करती है।

Q30: सड़क को एक प्रतिमा की क्या याद है?

A30: सड़क को एक प्रतिमा की कोमल चरणों, नूपुर की रूनझुन ध्वनि और म्लान दृष्टि वाली आँखों की याद है।

1. एक शब्द में उतर दो :

(क) गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर किस आख्या से विभूषित है ?

उत्तर : गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर “विश्वकवि” आख्या से विभूषित है।

(ख) रवीन्द्रनाथ ठाकुर जी के पिता का नाम क्या था ?

उत्तर : रवीन्द्रनाथ ठाकुर जी के पिता का नाम था देवेन्द्रनाथ ठाकुर ।

(ग) कौन-सा काव्य-ग्रंथ रवीन्द्रनाथ ठाकुर जी की कीर्ति का आधार-स्तंभ है ?

उत्तर : कवि शिरोमणि रवीन्द्रनाथ ठाकुर जी की कीर्ति का आधार-स्तंभ है उनका काव्य-ग्रंथ ‘गीतांजलि’ | 

(घ) सड़क किसकी आखिरी घड़ियों का इंतजार कर रही है ?

उत्तर : सड़क शाप की आखिरी घड़ियों का इंतजार कर रही है।

(ङ) सड़क किसकी तरह सब कुछ महसूस कर सकती है ?

उत्तर : सड़क अंधे की तरह सबकुछ महसूस कर सकती है।

2. पूर्ण वाक्य में उत्तर दो :

(क) प्रश्न: कवि-गुरु रवीन्द्रनाथ ठाकुर जी का जन्म कहाँ हुआ था?

उत्तर: कविगुरु रवीन्द्रनाथ ठाकुर जी का जन्म कोलकाता के जोरासाँको में हुआ था।

(ख) प्रश्न: गुरुदेव ने कब मोहनदास करमचँद गाँधी को ‘महात्मा’ के रुप में संबोधित किया था?

उत्तर: गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने शांतिनिकेतन आने पर मोहन दास करमचँद गाँधी को महात्मा के रूप में संबोधित किया था।

(ग) प्रश्न: सड़क के पास किस कार्य के लिए फुर्सत नहीं है?

उत्तर: सड़क के पास अपने ऊपर हरी घास लगाने और नीला फूल खिलने देने के लिए फुर्सत नहीं है।

(घ) प्रश्न: सड़क ने अपनी निद्रावस्था की तुलना किससे की है?

उत्तर: सड़क ने अपनी निद्रावस्था की तुलना हिलने-जुलने न वाले लंबे, गहरी नींद में सोए सांप से की है।

(ङ) प्रश्न: सड़क अपनी कड़ी और सूखी सेज पर क्या नहीं डाल सकती?

उत्तर: सड़क अपनी कड़ी और सूखी सेज पर हरी घास नहीं डाल सकती।

SL NoChapter Link
1नींव की ईंट
2छोटा जादूगर
3नीलकंठ
4भोलाराम का जीव
5सड़क की बात
6चिट्ठियों की अनूठी दुनिया
7साखी
8पद-त्रय
9जो बीत गयी
10कलम और तलवार
11कायर मत बन
12मृत्तिका

3. अति संक्षिप्त उत्तर दो (लगभग 25 शब्द में):

(क) प्रश्न: रवीन्द्रनाथ ठाकुर जी की प्रतिभा का परिचय किन क्षेत्रों में मिलता है?

उत्तर: रवीन्द्रनाथ ठाकुर जी कविता, कहानी, उपन्यास, शिक्षा, कला, संगीत आदि क्षेत्रों में प्रसिद्ध थे।

(ख) प्रश्न: ‘शान्तिनिकेतन’ के महत्व पर प्रकाश डालो।

उत्तर: ‘शान्तिनिकेतन’ शिक्षा और संस्कृति का केंद्र है। यह अब विश्व भारती विश्वविद्यालय का हिस्सा है।

(ग) प्रश्न: सड़क शाप-मुक्ति की कामना क्यों कर रही है?

उत्तर: सड़क हमेशा एक जगह स्थिर रहने के कारण शापमुक्त होना चाहती है।

(घ) प्रश्न: सुखी व्यक्ति के पैरों की आहट सुनकर सड़क क्या समझ जाती है?

उत्तर: सुखी व्यक्ति के पैरों की आहट से सड़क समझती है कि वे खुश हैं और उनके जीवन में सब अच्छा चल रहा है।

(ङ) प्रश्न: गरीब व्यक्ति के पैरों की आहट सुनकर सड़क को क्या बोध होता है?

उत्तर: गरीब व्यक्ति के पैरों की आहट से सड़क को लगता है कि उनके जीवन में दुख और निराशा है।

(च) प्रश्न: सड़क अपने ऊपर पड़े एक चरण-चिह्न को ज्यादा देर तक क्यों नहीं देख सकती?

उत्तर: नए लोग आते रहते हैं और उनके पैर पुराने निशान मिटा देते हैं, इसलिए सड़क एक निशान को ज्यादा देर नहीं देख पाती।

(छ) प्रश्न: बच्चों के कोमल स्पर्श से सड़क में कौन-से मनोभाव बनते हैं?

उत्तर: बच्चों के स्पर्श से सड़क को अच्छा लगता है, लेकिन उनके लिए सड़क कुछ नहीं कर सकती।

(ज) प्रश्न: सड़क को न हँसी है, न रोना क्यों?

उत्तर: सड़क को सुख और दुख नहीं होता क्योंकि उस पर हर तरह के लोग चलते हैं – अमीर-गरीब, खुश-غم (gham) ।

(झ) प्रश्न: राहगीरों के पाँवों के शब्दों को याद रखने के संदर्भ में सड़क ने क्या कहा है?

उत्तर: सड़क कहती है कि बहुत से लोग उस पर चलते हैं, लेकिन उनके कदमों की आवाज वह याद नहीं रख पाती। सिर्फ कुछ खास स्पर्शों को, जैसे माता-

4. संक्षिप्त उत्तर (लगभग 50 शब्दों में)

(क) जड़ निद्रा में पड़ी सड़क लाखों चरणों के स्पर्श उनके बारे में क्या-क्या समझ जाती है ?

(क) जड़ निद्रा में पड़ी सड़क लाखों चरणों के स्पर्श से यह समझ जाती है कि कौन घर जा रहा है, कौन परदेश जा रहा है, कौन काम से जा रहा है, कौन आराम करने जा रहा है। कौन उत्सव में जा रहा है और कौन श्मशान को जा रहा है। वह आपने ऊपर से गुजरनेवाले लोगों की सुख-दुख की कहानी पढ़ लेती है। वह जानती है कि चरणों के नए स्पर्श पुराने स्पर्श को मिटा देता है। सड़क यह भी महसूस करती है कि लोग उसके ऊपर ही लक्ष की ओर चलते हैं पर उसके प्रति कभी भी कृतज्ञता का प्रकट नहीं करता बल्कि तिरस्कार ही मिलता है।

(ख) सड़क संसार की कोई भी कहानी क्यों पूरी नहीं सुन पाती ?

(ख) सड़क संसार की कोई भी कहानी पूरी नहीं सुन पाती क्योंकि सैकड़ों, हजारों वर्षों से लाखों-करोड़ों लोगों की हँसी, गीत, और बातें सुनती आई है। पर कोई भी कहानी को पूरी नहीं सुन पाती है। इसका कारण यह है कि किसी आदमी की थोड़ी सी बात सुनने के बाद फिर जब सड़क दोवाड़ा कान लगाती तो उस आदमी का जीवन तबतक सम्पन्न ही हो जाता है। इससे वह सावित होता है कि सड़क के जीवन में जो स्थिरता है वह स्थिरता मनुष्य जीवन में नहीं है। इसलिए सड़क के पास टूटी-फूटी बातें और बिखरे हुए गीत अनेक हैं मगर कोई पूरी कहानी नहीं है जो सड़क सुन सकती।

(ग) “मैं किसी का भी लक्ष्य नहीं हूँ। सबका उपाय मात्र हूँ।” – सड़क ने ऐसा क्यों कहा है?

उत्तर: सड़क को यही संताप सताता रहता है कि किसी भी लोग उस पर कदम रखना नहीं चाहता, प्रसन्नतापूर्वक खड़ा रहना पसन्द नहीं करता। सड़क ने परम धैर्य के साथ किसी को उनके घर के द्वार पहुँचाती है तो किसी को उत्सवो की जगह और किसी को श्मशान पहुँचाती है। मगर इसके बदले लोग उसे तिरस्कार ही करते हैं। इसलिए सड़क कहती है कि “मैं किसी का भी लक्ष्य नहीं सबका उपाय मात्र हूँ”।

(घ) सड़क कब और कैसे घर का आनंद कभी-कभी महसूस करती?

उत्तर: सड़क कभी-कभी घर का आनंद महसूस करती है। जब छोटे-छोटे बच्चे हँसते हँसते उसके पास आते हैं और शोरगुल मचाते हुए उसके पास आकर खेलने लगते तब महसूस करती है कि वे धूल में पिता का आशीर्वाद और माता का स्नेह और प्यार छोड़ जाते हैं। वे धूल को ही अपने वश में कर लेते हैं और कोमल हाथो से हौले हौले थपकिया दे देकर उसे सुलाना चाहते हैं। अपना निर्मल हृदय लेकर बैठे-बैठे वे उसके साथ बाते करते हैं।

(ङ) सड़क अपने ऊपर से नियमित रूप से चलने वालों की परीक्षा क्यों करती है?

उत्तर: सड़क अपनी ऊपर से नियमित रूप से चलनेवालों को अच्छी तरह पहचानती है। वह कल्पना करती है कि किस प्रकार एक थका हुआ व्यक्ति संध्या समय आकाश की भाँति म्लान दृष्टि से किसी के मुँह की ओर देख घर लौटता है। सड़क उसे घर तक पहुँचाने मे मदद करती है।

5. सम्यक् उत्तर (लगभग 100 शब्दों में)

(क) सड़क का कौन-सा मनोभाव तुम्हे सर्वाधिक हृदयस्पर्शी लगा और क्यों?

क) सड़क का वह मनोभाव मुझे सर्वाधिक हृदयस्पर्शी लगा जिसमें वह बच्चों के प्रति ममता का भाव प्रदर्शित करती है। वह उनके कोमल पावों के लिए अपने को बहुत कठोर समझती है और खुद कोमल कली बन जाने की कामना करती है ताकि उन्हें कठिनाई न हो। यह भाव सड़क के चरित्र में एक मानवीय स्पर्श जोड़ता है और पाठक को भावुक कर देता है।

यह भाव इस बात को भी रेखांकित करता है कि सड़क अपनी जड़ता और विवशता के बंधन में कैद है। वह बच्चों के प्रति अपना स्नेह और ममता व्यक्त करना चाहती है, परंतु अपनी निर्जीवता के कारण ऐसा करने में असमर्थ है। यह विडंबना और लाचारी सड़क के चरित्र को और भी अधिक मार्मिक बना देती है।

(ख) सड़क ने अपने बारे में जो कुछ कहा है, उसे संक्षेप प्रस्तुत करो। 

 सड़क ने अपने बारे में जो कुछ कहा है, उसे संक्षेप में इस प्रकार प्रस्तुत किया जा सकता है:

  • सड़क को शाप के कारण स्थिर और अविंचल रहना पड़ता है।
  • वह अन्य चेतन प्राणियों की तरह चलना और बोलना चाहती है।
  • सड़क अपने ऊपर चलने वालों की सुख-दुःख को जानती है, परंतु वे उसे कभी लक्ष्य नहीं मानते और न ही कृतज्ञता व्यक्त करते हैं।
  • वह केवल लक्ष्य तक पहुँचने का एक साधन भर है।
  • कोई भी व्यक्ति प्रसन्नतापूर्वक उस पर कदम नहीं रखना चाहता।
  • सड़क को दुःख है कि वह नन्हें बच्चों का स्नेह और प्यार पाकर भी उनका उत्तर देने में असमर्थ है।
  • वह उन लोगों की प्रतीक्षा करती है जो लक्ष्य तक जाने के लिए ठिकाए हुए हैं और मदद के लिए मुख देख रहे हैं।
  • लोगों के जन्म और मृत्यु आदि क्रियाकलापों से वह हमेशा अपने को परे रखती है।
  • उसके पास रोक या संताप करने की छूट नहीं है।
  • वह बिना किसी व्यक्ति की हँसी और रोने की याद के अकेली पड़ी रहती है।

(ग) सड़क की बातों के जरिए मानव जीवन की जो बातें उजागर हुई है, उन पर संक्षिप्त प्रकाश डालो । 

सड़क की बातों के माध्यम से मानव जीवन की अनेक महत्वपूर्ण बातें उजागर होती हैं।

  • मानव चेतन और सजीव प्राणी है।
  • प्रत्येक व्यक्ति का लक्ष्य भिन्न होता है।
  • अपने कर्म के अनुसार उन्हें फल मिलता है।
  • सुख-दुःख, आशा-निराशा, सार्थकता-निरर्थकता का हिसाब भी असम्पूर्ण रहता है।
  • मानव जीवन में स्थायित्व और समाप्ति नहीं होती है।
  • आशा-आकांक्षा की प्राप्ति और निराशा की समाप्ति के लिए मानव सदैव संघर्ष करता रहता है।
  • मृत्यु के बाद भी कर्म अधूरा रह जाता है।
  • समय बदलने के साथ आशीर्वाद और अभिशाप का रंग भी धूल में मिल जाता है।
  • मानव सामाजिक प्राणी है।
  • सामाजिक विच्छेद के कारण लोग एक-दूसरे के प्रति घृणा, कृतघ्नता और बंधकता का व्यवहार करते हैं।
  • समाज में गरीब और अमीर, दोनों ही धूल के स्रोत की तरह उड़ते रहते हैं।

(क) “अपनी इस गहरी जड़ निद्रा में लाखों चरणों के स्पर्श से उनके हृदयो को पढ़ लेती हूँ।” 

6. सप्रसंग व्याख्या

क) “अपनी इस गहरी जड़ निद्रा में लाखों चरणों के स्पर्श से उनके हृदयो को पढ़ लेती हूँ।”

यह पंक्तियाँ रवीन्द्रनाथ ठाकुर जी के निबंध “सड़क की बात” से ली गई हैं। इसमें लेखक सड़क को एक जीवंत प्राणी के रूप में चित्रित करते हैं, जो गहरी निद्रा में सो रही है। लाखों चरणों के स्पर्श से सड़क मनुष्यों के हृदयों को पढ़ लेती है।

विश्लेषण:

  • गहरी जड़ निद्रा: यह सड़क की स्थिरता और जड़ता का प्रतीक है।
  • लाखों चरणों का स्पर्श: यह सड़क पर चलने वाले अनगिनत लोगों का प्रतीक है।
  • हृदयों को पढ़ लेना: यह सड़क की समझदारी और संवेदनशीलता का प्रतीक है।

कथित अर्थ:

सड़क, भले ही निर्जीव हो, लेकिन मनुष्यों के सुख-दुख, आशा-निराशा को महसूस करती है। हर कदम के साथ, वह उनके जीवन की कहानियों को सुनती है और उनके हृदयों की गहराई में उतर जाती है।

ख) “मुझे दिन-रात यही संताप सताता रहता है कि मुझ पर कोई तबीयत से कदम नहीं रखना चाहता।”

यह पंक्तियाँ भी “सड़क की बात” से ही ली गई हैं। यहाँ सड़क अपनी पीड़ा व्यक्त करती है कि लोग उस पर ध्यान नहीं देते या उसका सम्मान नहीं करते।

विश्लेषण:

  • दिन-रात संताप: यह सड़क की निरंतर पीड़ा का प्रतीक है।
  • तबीयत से कदम नहीं रखना: यह लोगों की लापरवाही और अकृतज्ञता का प्रतीक है।

कथित अर्थ:

सड़क, जो मनुष्यों को उनके गंतव्य तक पहुँचाने में मदद करती है, को बदले में उनसे सम्मान और कृतज्ञता की उम्मीद रहती है। लेकिन, लोग अक्सर उस पर लापरवाही से चलते हैं, उसे गंदा करते हैं, और उसकी उपेक्षा करते हैं। यह सड़क को दुखी और निराश करता है।

ग) “मै अपने ऊपर कुछ भी पड़ा रहने नही देती, न हँसी, न रोना सिर्फ में ही अकेली पड़ी हुई हूँ और पड़ी रहूँगी ।”

यह पंक्तियाँ भी “सड़क की बात” से ही ली गई हैं। यहाँ सड़क अपनी निष्पक्षता और अकेलेपन को व्यक्त करती है।

विश्लेषण:

  • कुछ भी पड़ा रहने न देना: यह सड़क की निष्पक्षता और अलगाव का प्रतीक है।
  • न हँसी, न रोना: यह सड़क की भावनाओं को दबाने का प्रतीक है।
  • अकेली पड़ी रहना: यह सड़क के एकांत और विरक्ति का प्रतीक है।

कथित अर्थ:

सड़क मनुष्यों के सुख-दुख, उत्सव-विषाद का गवाह रहती है, लेकिन वह स्वयं इन भावनाओं से अछूती रहती है। वह सबको समान रूप से स्वीकार करती है, किसी का पक्ष नहीं लेती। यह उसकी निष्पक्षता और अकेलेपन का कारण बनता है।

निष्कर्ष:

रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने “सड़क की बात” में सड़क को एक रूपक के रूप में उपयोग कर मनुष्यों के जीवन और उनके आसपास की दुनिया के बारे में गहरे विचार व्यक्त किए हैं। सड़क की पीड़ा, अकेलापन और निष्पक्षता हमें अपने जीवन पर पुनर्विचार करने और दूसरों के प्रति कृतज्ञता का भाव रखने के लिए प्रेरित करती है।

निम्नलिखित सामासिक शब्दों का विग्रह और समास का नाम:
  1. दिन-रात:
    • विग्रह: दिन और रात
    • समास का नाम: द्वंद्व समास (यह दो शब्दों का योग है जो मिलकर एक अर्थ देते हैं)
  2. जड़निद्रा:
    • विग्रह: जड़ + निद्रा
    • समास का नाम: कर्मधारय समास (पूर्वपद उत्तरपद का विशेषण है)
  3. पगध्वनि:
    • विग्रह: पग + ध्वनि
    • समास का नाम: कर्मधारय समास (पूर्वपद उत्तरपद का विशेषण है)
  4. चौराहा:
    • विग्रह: चार + हा
    • समास का नाम: तत्पुरुष समास (पूर्वपद उत्तरपद का उपमान है)
  5. प्रतिदिन:
    • विग्रह: प्रति + दिन
    • समास का नाम: अव्ययीभाव समास (पूर्वपद क्रिया या विशेषण का विशेषण है)
  6. आजीवन:
    • विग्रह: आजीव +
    • समास का नाम: तत्पुरुष समास (पूर्वपद उत्तरपद का उपमान है)
  7. अविल:**
    • विग्रह: अ + विल
    • समास का नाम: कर्मधारय समास (पूर्वपद उत्तरपद का विशेषण है)
  8. राहखर्च:
    • विग्रह: राह + खर्च
    • समास का नाम: तत्पुरुष समास (पूर्वपद उत्तरपद का कार्य है)
  9. पथभ्रष्ट:
    • विग्रह: पथ + भ्रष्ट
    • समास का नाम: कर्मधारय समास (पूर्वपद उत्तरपद का विशेषण है)
  10. नीलकंठ:
    • विग्रह: नील + कंठ
    • समास का नाम: तत्पुरुष समास (पूर्वपद उत्तरपद का उपमान है)
  11. महात्मा:
    • विग्रह: महा + आत्मा
    • समास का नाम: तत्पुरुष समास (पूर्वपद उत्तरपद का गुण है)
  12. रातोरात:
    • विग्रह: रात + रात
    • समास का नाम: द्वंद्व समास (यह दो शब्दों का योग है जो मिलकर एक अर्थ देते हैं)

निम्नलिखित उपसर्गों का प्रयोग करके दो-दो शब्द बनाना:

1. परा:

  • पराभव: हार
  • पराक्रम: वीरता

2. अप:

  • अपमान: अपमान
  • अपराध: अपराध

3. अधि:

  • अधिपति: स्वामी
  • अधिगम: ज्ञान प्राप्ति

4. उप:

  • उपकार: सहायता
  • उपहार: भेंट

5. अभि:

  • अभिवादन: नमस्कार
  • अभिमान: घमंड

6. अति:

  • अतिथि: मेहमान
  • अतिशय: बहुत अधिक

7. सु:

  • सुख: खुशी
  • सुंदर: सुंदर

8. अव:

  • अवतार: देवता का पृथ्वी पर आगमन
  • अवलोकन: देखना

ध्यान दें:

  • यह केवल कुछ उदाहरण हैं। इन उपसर्गों का उपयोग करके और भी कई शब्द बनाए जा सकते हैं।
  • कुछ शब्दों में उपसर्ग का अर्थ बदल सकता है।

निम्नलिखित शब्दों से उपसर्ग अलग करना:

1. अनुभव:

  • उपसर्ग: अनु
  • मूल शब्द: भव

2. बेहोश:

  • उपसर्ग: बे
  • मूल शब्द: होश

3. परदेश:

  • उपसर्ग: पर
  • मूल शब्द: देश

4. खुशबू:

  • उपसर्ग: खुश
  • मूल शब्द: बू

5. दुर्दशा:

  • उपसर्ग: दुर्
  • मूल शब्द: दशा

6. दुस्साहस:

  • उपसर्ग: दुस्
  • मूल शब्द: साहस

7. निर्दय:

  • उपसर्ग: निर्
  • मूल शब्द: दया

ध्यान दें:

  • कुछ मामलों में, उपसर्ग और मूल शब्द के बीच का अंतर स्पष्ट नहीं होता है।
  • ऐसे मामलों में, शब्द का व्युत्पत्ति विश्लेषण करना आवश्यक हो सकता है।
  • उपसर्गों के बारे में अधिक जानकारी के लिए, आप किसी भाषा विज्ञान या शब्दकोश का संदर्भ ले सकते हैं।
निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द:

1. सड़क:

  • पथ
  • मार्ग

2. जंगल:

  • वन
  • अरण्य

3. आनंद:

  • सुख
  • हर्ष

4. घर:

  • निवास
  • आवास

5. संसार:

  • जगत
  • धरा

6. माता:

  • जननी
  • अम्ब

7. आँख:

  • नेत्र
  • दृष्टि

8. नदी:

  • सरिता
  • सिंधु

ध्यान दें:

  • पर्यायवाची शब्दों का अर्थ समान होता है, लेकिन उनका प्रयोग वाक्य में भिन्न-भिन्न संदर्भों में किया जा सकता है।
  • कुछ शब्दों के अनेक पर्यायवाची शब्द हो सकते हैं।
  • पर्यायवाची शब्दों का प्रयोग भाषा को अधिक प्रभावशाली और रोचक बनाने में मदद करता है।
निम्नलिखित शब्दों के विपरीतार्थक शब्द:

1. मृत्यु: जीवन

2. अमीर: गरीब

3. शाप: वरदान

4. छाया: रोशनी

5. जड़: चंचल

6. आशा: निराशा

7. हँसी: रोना

8. आरंभ: अंत

9. कृतज्ञ: कृतघ्न

10. पास: दूर

11. निर्मल: दूषित

12. जवाब: सवाल

13. सूक्ष्म: स्थूल

14. धनी: निर्धन

15. आकर्षण: विकर्षण

ध्यान दें:

  • विपरीतार्थक शब्दों का अर्थ एक दूसरे के विपरीत होता है।
  • कुछ शब्दों के अनेक विपरीतार्थक शब्द हो सकते हैं।
  • विपरीतार्थक शब्दों का प्रयोग भाषा को अधिक स्पष्ट और सटीक बनाने में मदद करता है।
निम्नलिखित शब्दों का सन्धि विच्छेद:
  1. देहावसान: देह + अव + सान (अ+व = ओ गुणसंधि)
  2. उज्वल: उज् + ज्वल (ज् + व = ज्व परिवर्तन संधि)
  3. रवीन्द्र: रवि + इन्द्र (वि + इ = वे गुणसंधि)
  4. सूर्योदय: सूर्य + उदय (य + उ = यो गुणसंधि)
  5. सदैव: सदा + एव (विभक्ति संधि)
  6. अत्याधिक: अति + अधिक (इ + अ = आ गुणसंधि)
  7. जगन्नाथ: जगत् + नाथ (त् + न = nn वर्ण संधि)
  8. उच्चारण: उच् + चारण (च् + च = छ् वर्ण संधि)
  9. संसार: सत् + आसर (अत्व + र = आर वृद्धि संधि)
  10. मनोरथ: मन + अभि + अर्थ (इ + अ = आ गुणसंधि)
  11. आशीर्वाद: आशिष + वाद (ष् + व = श् वर्ण संधि)
  12. दुस्साहस: दुस् + साहस (स + स = स् वर्ण संधि)
  13. नीरस: नीर + रस (र + र = र्र वर्ण संधि)

Class 10 Assamese Boisitramoi Axom Question Answer

Leave a Comment