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Class 10 Hindi Chapter 7 Assamese Medium
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साखी Class 10
साखी
1. सही विकल्प का चयन करो :
(क) महात्मा कबीर दास का जन्म हुआ था –1
(अ) सन् 1398 में। (आ) सन् 1380 में।
(इ) सन् 1370 में। (ई) सन् 1390 में।
उत्तर : सन् 1398 में ।
(ख) संत कबीर दास के गुरु कौन थे ?
(अ) गोरखनाथ। आ) रामानन्द।
(इ) रामानुजाचार्य। (ई) ज्ञानदेव।
उत्तर : रामानन्द।
(ग) कस्तूरी मृग वन वन में क्या खोजता फिरता है ?
(अ) कोमल घास। (आ) शीतल जल।
(इ) कस्तूरी नामक सुगंधित पदार्थ। (ई) निर्मल हवा।
उत्तर : कस्तूरी नामक सुगंधित पदार्थ ।
(घ) कबीरदास के अनुसार वह व्यक्ति पंडित है―
(अ) जो शास्त्रोका अध्ययन करता है।
(आ) जो बड़े बड़े ग्रंथ लिखता है।
(इ) जो किताबें खरीदकर पुस्तकालय में रहता है।
(ई) जो ‘प्रेम का ढई आखर’ पढ़ता है।
उत्तर : (ई) जो ‘प्रेम का ढई आखर’ पढ़ता है ।
(ङ) कवि के अनुसार हमें कल का काम कब करना चाहिए ?
(अ) आज। (आ) काल।
(इ) परसो। (ई) नरसो।
उत्तर : आज ।
2. एक शब्द उतर दो :
(क) श्रीमंत शंकरदेव ने अपने किस ग्रंथ में कबीर दास जी का उल्लेख किया है ?
उत्तर : कीर्तन घोषा में ।
(ख) महात्मा कबीर दास का देहावसान कब हुआ था ?
उत्तर : मगहर में ।
(ग) कवि के अनुसार प्रेम विहीन शरीर कैसा होता है ?
उत्तर : लोहार की खाल जैसा होता है ।
(घ) कबीर दास जी ने गुरु को क्या कहा है ?
उत्तर : कुम्हार कहा है ।
(ङ) महात्मा कबीर दास की रचनाएँ किस नाम से प्रसिद्ध हुई ?
उत्तर : बीजक नाम से ।
3. पूर्ण वाक्य में उत्तर दो :
(क) कबीर दास के पालक पिता-माता कौन थे ?
उत्तर : कबीर दास के पालक पिता-माता―नीरू और नीमा था।
(ख) ‘कबीर’ शब्द का अर्थ क्या है ?
उत्तर : ‘कबीर’ शब्द का अर्थ बड़ा, महान और श्रेष्ठ है ।
(ग) ‘सखी’ शब्द किस संस्कृत शब्द से विकसित है ?
उत्तर : ‘साखी’ शब्द संस्कृत शब्द ‘साक्षी’ से विकसित है ।
(घ) साधु की कौन-सी बात नहीं पूछी जानी चाहिए ?
उत्तर : साधु को ‘जाति के बारे में पूछना नहीं चाहिए ।
(ङ) डूबने से डरने वाला व्यक्ति कहाँ बैठा रहता है ?
उत्तर : डूबने से डरने वाला व्यक्ति पानी के किनारे बैठा रहता है ।
4. अति संक्षिप्त उत्तर दो (लगभग २५ शब्द में)
(क) कबीर दास जी की कविताओं की लोकप्रियता पर प्रकाश डालें।
उत्तर : कबीर दास जी की कविताएं सरल भाषा, भावपूर्ण संदेश और सामाजिक सरोकारों के कारण अत्यंत लोकप्रिय हैं। उनकी रचनाओं में पाखंड और अंधविश्वासों पर व्यंग्य के साथ प्रेम, भक्ति, सदाचार और मानवता का संदेश दिया गया है। ये कविताएं विभिन्न भाषाओं में अनुवादित होकर आज भी दुनिया भर में लोगों को प्रेरित करती हैं। उनकी लोकप्रियता का रहस्य उनकी सहज भाषा, गहरे भाव, सामाजिक सुधार की आवाज, संगीतमयता और ईश्वर व मानवता के प्रति सच्ची आस्था में छिपा है।
क) कबीर दास जी के आराध्य कैसे थे?
उत्तर: कबीर दास जी निर्गुण, निराकार, सर्वव्यापी परम ब्रह्म के उपासक थे। यह परम ब्रह्म संसार के कण-कण में व्याप्त है, प्रत्येक जीव में विद्यमान है। सच्चे हृदय से इस सर्वव्यापी ईश्वर को पाने का संदेश उन्होंने दिया।
ख) कबीर दास जी की काव्य भाषा किन गुणों से युक्त है?
उत्तर: कबीर दास जी की काव्य भाषा वस्तुतः तत्कालीन खड़ीबोली और अवधी का मिश्रण है, जिसे विद्वानों ने ‘सधुक्कड़ी’ या ‘पंचमेल खिचड़ी’ कहा है। यह भाषा सरल, सहज, बोधगम्य और स्वाभाविक रूप से आए कलात्मक प्रयोगों से सजी हुई है। इसमें खड़ीबोली, ब्रज, फारसी, अरबी, उर्दू, पंजाबी आदि भाषाओं के शब्दों का समावेश हुआ है।
ग) ‘तेरा साई तुझमें, ज्यों पुहुपन में बास’ का आशय क्या है?
उत्तर: कबीर दास जी के अनुसार परम तत्व (ईश्वर) सब जीवों के हृदय में विद्यमान है। जिस प्रकार सुगंध पुष्प में निहित होती है, उसी प्रकार ईश्वर का सार हर जीव में विद्यमान है। यह सार हृदय में तभी प्रकट होता है जब हम अपने अहंकार और आसक्ति को त्यागकर सच्चे मन से ईश्वर की भक्ति करते हैं।
घ) ‘सतगुरु की महिमा के बारे में कवि ने क्या कहा है?
उत्तर: कबीर दास जी ने सतगुरु की महिमा को अनंत बताया है। क्योंकि सतगुरु का ज्ञान अनंत है, दृष्टि अनंत है, और उन्होंने ईश्वर के साक्षात दर्शन किए हैं। वे ही शिष्य को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं और उसे सच्चा ज्ञान प्रदान करते हैं।
ङ) ‘ अंतर हाथ सहार दे, बाहर बाहै चोट’ का तात्पर्य बताओ।
उत्तर: कबीर दास जी के अनुसार गुरु-शिष्य का संबंध कुम्हार और कुंभ का है। जिस प्रकार कुम्हार कुंभ को बनाने में एक हाथ से सहारा देता है और दूसरे हाथ से बाहर से चोट लगाता है उसी प्रकार गुरु शिष्य को शिक्षा देने के लिए कठोरता और प्रेम दोनों का प्रयोग करते हैं। वे शिष्य की कमजोरियों को दूर करने के लिए उसे डांटते और फटकारते हैं, परंतु हृदय में सदैव उसके लिए प्रेम रखते हैं।
5. संक्षिप्त उत्तर (लगभग ५० शब्दों में)
(क) बुराई खोजने के संदर्भ में कवि ने क्या कहा है?
उत्तर: कबीर दास जी का कहना है कि हमें दूसरों की बुराई ढूंढने से पहले अपने आपको अच्छी तरह निरीक्षण करना चाहिए। उनके अनुसार लोग दूसरों की बुराई हमेशा देखते हैं लेकिन अपने मन की मैल को नहीं देखते। जब हम अपने दिल को देखें तो मालूम होगा कि हमारे जैसे बुरे कहीं नहीं हैं।
(ख) कबीर दास जी ने किसलिए मन का मनका फेरने का उपदेश दिया है?
उत्तर: कबीर दास जी के अनुसार अनेक लोग भगवान के नाम पर हाथ में माला लेकर जाप करते हैं किंतु भगवान का साक्षात या दर्शन नहीं पाते। आपके अनुसार माला जपने से पहले अपने मन का फेर मारना चाहिए अर्थात् मन की मैल को साफ करनी चाहिए।
(ग) गुरु शिष्य को किस प्रकार गढ़ते हैं?
उत्तर: जिस प्रकार कुम्हार कुंभ को बनाने में अंदर से एक हाथ से सहारा देता है और बाहर से थपकियां लगाते हैं उसी प्रकार गुरु ने भी शिष्य को हृदय में प्यार रखते हुए डांट-फटकार के जरिए शिक्षा देकर शिष्य को गढ़ लेते हैं।
6. सम्यक् उत्तर दो (लगभग १०० शब्दों में)
(क) संत कबीर दास जी की जीवन-गाथा पर प्रकाश डालो।
उत्तर:
हिंदी साहित्य के संत कवियों में कबीर दास जी का नाम सर्वोपरि है। उनका जीवन और रचनाएं, दोनों ही अत्यंत रोचक और प्रेरक हैं।
जन्म एवं प्रारंभिक जीवन:
- वर्ष: 1398 CE (विक्रम संवत् 1455) में काशी (वाराणसी) में जन्म (जन्म स्थान पर विवाद)
- पालन-पोषण: एक विधवा ब्राह्मणी द्वारा जन्मे कबीर को लोकलाज के कारण लहरतारा नामक स्थान पर छोड़ दिया गया।
- दत्तक: नीरू और नीमा नामक मुस्लिम जुलाहे दंपति ने उन्हें पाला-पोसा और उनका नाम कबीर रखा।
धार्मिक जीवन:
- गुरु: कबीर दास जी ने स्वामी रामानंद से दीक्षा ग्रहण की,
- आराधना: उन्होंने निर्गुण, निराकार परम ब्रह्म (कभी-कभी ‘राम’ नाम से भी संबोधित) की भक्ति का मार्ग अपनाया।
- सामाजिक सुधार: जाति-पात, ऊंच-नीच, छुआछूत जैसी कुरीतियों का विरोध,
- समानता: स्त्री शिक्षा, महिला सशक्तिकरण और सामाजिक समरसता का समर्थन।
साहित्यिक योगदान:
- रचनाएं: ‘साखी’, ‘पद’, ‘बावनी’ आदि अनेक रचनाएं,
- भाषा: सरल, सहज, प्रभावशाली,
- विषयवस्तु: सामाजिक, धार्मिक, आध्यात्मिक विचारों का समावेश।
निष्कर्ष:
कबीर दास जी महान संत, कवि, दार्शनिक और सामाजिक सुधारक थे। उन्होंने अपने जीवन और रचनाओं के माध्यम से समाज को एक नई दिशा दी। आज भी वे लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
संशोधन:
- सटीकता: राम भक्ति शाखा से जुड़े होने का उल्लेख हटा दिया गया है, क्योंकि कबीर निर्गुण निराकार परम ब्रह्म की भक्ति पर बल देते थे।
- स्पष्टता: जन्म स्थान को लेकर विवाद का उल्लेख जोड़ा गया है।
- विश्लेषण: धार्मिक जीवन में उनके गुरु, आराधना पद्धति और सामाजिक सुधारों पर अधिक प्रकाश डाला गया है।
- संक्षिप्तता: साहित्यिक योगदान के बारे में जानकारी संक्षेप में दी गई है।
SL No | Chapter Link |
1 | नींव की ईंट |
2 | छोटा जादूगर |
3 | नीलकंठ |
4 | भोलाराम का जीव |
5 | सड़क की बात |
6 | चिट्ठियों की अनूठी दुनिया |
7 | साखी |
8 | पद-त्रय |
9 | जो बीत गयी |
10 | कलम और तलवार |
11 | कायर मत बन |
12 | मृत्तिका |
(ख) भक्त कवि कबीर दास जी का साहित्यिक परिचय दो ।
उत्तर:कबीर दास जी, आम जनता के कवि थे जिन्होंने सरल भाषा में काव्य रचना की। उनकी रचनाओं में ब्रज, मैथिली, उर्दू, फारसी आदि भाषाओं का मिश्रण है। ज्ञान, भक्ति, आत्मा-परमात्मा जैसे गहन विषयों को भी उन्होंने सुबोध रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने लोगों को उपदेश दिए जिनको उनके शिष्यों ने लिपिबद्ध किया। “बीजक” उनकी रचनाओं का संग्रह है जिसे तीन भागों – साखी, सबद और रमैनी – में विभाजित किया गया है। कबीरदास जी की रचनाएं हिंदी संत साहित्य का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। निर्गुण भक्ति, सामाजिक सुधार और आध्यात्मिकता उनके साहित्य की प्रमुख विशेषताएं हैं। उनकी सरल भाषा, गहन विचार और प्रेरणादायक संदेश आज भी लोगों को मार्गदर्शन करते हैं।
7. सप्रसंग व्याख्या करो :
(क) ‘जाति न पूछो’ साधु की, ………पड़ा रहन दो म्यान ।।
यह पंक्तियां हमारी पाठ्यपुस्तक “आलोक भाग-2” के अंतर्गत महात्मा कबीर दास विरचित “साखी” शीर्षक दोहे से ली गई हैं। इसमें कबीर दास जी ने हमें जाति के स्थान पर ज्ञान को महत्व देने का संदेश दिया है।
विश्लेषण:
- विषय: जाति और ज्ञान का महत्व
- कवि: महात्मा कबीर दास जी
- रचना: “साखी”
- स्रोत: “आलोक भाग-2”
विवरण:
कबीर दास जी इस दोहे में कहते हैं कि किसी व्यक्ति की जाति से उसकी पहचान नहीं होती, बल्कि उसके ज्ञान और कर्मों से उसकी पहचान होती है।
उदाहरण:
- तलवार और म्यान: जैसे लड़ाई में तलवार का महत्व होता है, म्यान का नहीं, उसी तरह ज्ञान का महत्व होता है, जाति का नहीं।
- सुंदर समाज: एक सुंदर समाज बनाने के लिए सभी व्यक्तियों के ज्ञान और योगदान को महत्व दिया जाना चाहिए, उनकी जाति को नहीं।
कबीर दास जी का दृष्टिकोण:
- जाति-भेद समाज की बुराई है।
- ज्ञान सभी के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण है।
- सच्चा सुख और समृद्धि ज्ञान से ही प्राप्त होती है।
निष्कर्ष:
कबीर दास जी का यह संदेश आज भी प्रासंगिक है। हमें किसी व्यक्ति को उसकी जाति के आधार पर नहीं, बल्कि उसके ज्ञान और कर्मों के आधार पर आंकना चाहिए।
(ख) जिन ढूँढ़ा तीन पाइयाँ, ……रहा किनारे बैठ ।।
उत्तर:
यह पंक्तियां हमारी पाठ्यपुस्तक “आलोक भाग-2” के अंतर्गत महात्मा कबीर दास जी विरचित “साखी” शीर्षक दोहे से ली गई हैं। इस दोहे में कबीर दास जी गहन साधना और कर्म की आवश्यकता पर बल देते हैं।
विश्लेषण:
- विषय: साधना, कर्म और सफलता
- कवि: महात्मा कबीर दास जी
- रचना: “साखी”
- स्रोत: “आलोक भाग-2”
विवरण:
कबीर दास जी इस दोहे में कहते हैं कि बिना कठोर परिश्रम और निष्ठा के जीवन में सफलता प्राप्त करना असंभव है।
उदाहरण:
- समुद्र और मोती: जो लोग साहसी और मेहनती होते हैं, वे समुद्र की गहराई में जाकर मोती निकाल लेते हैं, जबकि डरपोक और आलसी लोग समुद्र के किनारे बैठे रहते हैं और सपने देखते हैं।
- जीवन का आनंद: जीवन का सच्चा आनंद केवल उन लोगों को ही मिलता है जो साहसी और मेहनती होते हैं, डरपोक और आलसी लोगों को नहीं।
कबीर दास जी का दृष्टिकोण:
- सफलता प्राप्त करने के लिए कठिन परिश्रम और निष्ठा आवश्यक है।
- डर और आलस्य सफलता के मार्ग में बाधाएं हैं।
- जो लोग साहसी और मेहनती होते हैं, वे जीवन में सफलता और खुशी प्राप्त करते हैं।
निष्कर्ष:
कबीर दास जी का यह संदेश आज भी प्रासंगिक है। हमें जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए कठिन परिश्रम और निष्ठा से काम करना चाहिए।
(ग) जा घट प्रेम न संचरै, ……..साँस लेत बिनु प्रान ।।
उत्तर:
यह पंक्तियां हमारी पाठ्यपुस्तक “आलोक भाग-2” के अंतर्गत महात्मा कबीर दास जी विरचित “साखी” शीर्षक दोहे से ली गई हैं। इस दोहे में कबीर दास जी प्रेम और भक्ति की महत्ता पर अपना दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं।
विश्लेषण:
- विषय: प्रेम, भक्ति और जीवन का महत्व
- कवि: महात्मा कबीर दास जी
- रचना: “साखी”
- स्रोत: “आलोक भाग-2”
विवरण:
कबीर दास जी इस दोहे में कहते हैं कि जिस घर में ईश्वर की भक्ति नहीं होती, वह घर श्मशान के समान है।
उदाहरण:
- श्मशान: श्मशान वह स्थान होता है जहां मृतकों का अंतिम संस्कार किया जाता है।
- भक्ति: ईश्वर के प्रति प्रेम और समर्पण की भावना।
कबीर दास जी का दृष्टिकोण:
- ईश्वर की भक्ति जीवन का आधार है।
- जिस घर में ईश्वर की भक्ति नहीं होती, वह घर मृतक के समान है।
- भक्ति के बिना जीवन में कोई सच्चा आनंद और अर्थ नहीं होता।
निष्कर्ष:
कबीर दास जी का यह संदेश आज भी प्रासंगिक है। हमें अपने जीवन में ईश्वर की भक्ति को महत्वपूर्ण स्थान देना चाहिए।
(घ) काल करे सो आज कर, ……बहुरि करेगी कब ।।
उत्तर:
यह पंक्तियां हमारी पाठ्यपुस्तक “आलोक भाग-2” के अंतर्गत महात्मा कबीर दास जी विरचित “साखी” शीर्षक दोहे से ली गई हैं।
विश्लेषण:
- विषय: कर्तव्य पालन का महत्व, समय का सदुपयोग
- कवि: महात्मा कबीर दास जी
- रचना: “साखी”
- स्रोत: “आलोक भाग-2”
विवरण:
कबीर दास जी इस दोहे में शीघ्र कर्तव्य पालन का महत्व बताते हैं।
उदाहरण:
- प्राकृतिक परिवर्तन: दुनिया लगातार बदल रही है, और हमारे जीवन भी इन परिवर्तनों से प्रभावित होते हैं।
- समय का महत्व: समय अनमोल है, और हमें इसे व्यर्थ नहीं करना चाहिए।
- कर्तव्य पालन: हमें अपने कर्तव्यों को समय पर और पूरी ईमानदारी से पूरा करना चाहिए।
कबीर दास जी का दृष्टिकोण:
- जीवन अनिश्चित है, इसलिए हमें समय का सदुपयोग करना चाहिए।
- हमें अपने कर्तव्यों को टालना नहीं चाहिए, क्योंकि विपत्ति किसी भी समय आ सकती है।
- शीघ्र कर्तव्य पालन से हम जीवन में सफलता और खुशी प्राप्त कर सकते हैं।
निष्कर्ष:
कबीर दास जी का यह संदेश आज भी प्रासंगिक है। हमें अपने कर्तव्यों को समय पर और पूरी ईमानदारी से पूरा करने का प्रयास करना चाहिए।
भाषा एवं व्याकरण ज्ञान
1. निम्नलिखित शब्दों के तत्सम रूप बनाओ –
मिरग – मृग (Mrga)
पुहुप – पुष्प (Pushpa)
सिष – शिष्य (Shishya)
आखर – अक्षर (Akshara)
मसान – श्मशान (Shmashan)
परलय – प्रलय (Pralaya)
उपगार – उपकार (Upakara)
तीर्थ – तीर्थ (Tirtha)
2. बाक्यों में प्रयोग करके निम्नलिखित जोड़ों के अर्थ का अंतर स्पष्ट करो :
मनका―मन का, करका―कर का, नलकी―नल की,
पीलिया―पी लिया, तुम्हारी―तुम हारे, नदी―न दी मनका (माला के दाने)― हाथ में मनका लेकर फायदा नहीं उठा सकता अगर दिल साफ न हो
1. मनका बनाम मन का
- मनका: इसका मतलब माला या जपने की माला की गोल मोती होती है। यह एक भौतिक वस्तु है जिसे पकड़ा और इस्तेमाल किया जा सकता है।
- उदाहरण:
“वह मंत्रों का जाप करते हुए अपनी माला के मनकों को घुमा रही थी।” “माला के मनके चंदन की लकड़ी के बने थे।”
- मन का: इसका मतलब दिमाग या दिल की आंतरिक स्थिति से है। यह एक अमूर्त अवधारणा है जिसे देखा या छुआ नहीं जा सकता।
- उदाहरण:
“आध्यात्मिक प्रगति के लिए शुद्ध मन होना जरूरी है।” “वह नकारात्मक विचारों से जूझ रहा था।”
2. करका बनाम कर का
- करका: इसका मतलब मिट्टी का छोटा घड़ा होता है। यह एक भौतिक वस्तु है जिसका उपयोग तरल पदार्थों को स्टोर करने या ले जाने के लिए किया जाता है।
- उदाहरण:
“उसने करकें में कुएँ से पानी भर लिया।” “करका ताजा पके हुए चावल से भरा हुआ था।”
- कर का: इसका मतलब कर से जुड़ा हुआ या कर से संबंधित होता है।
- उदाहरण:
“सरकार ने इस साल आमदनी पर कर का बढ़ा दिया है।” “आम आदमी के लिए कर का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है।”
3. नलकी बनाम नल की
- नलकी: इसका मतलब नली या पाइप होता है। यह एक भौतिक वस्तु है जिसका उपयोग तरल पदार्थों को ले जाने के लिए किया जाता है।
- उदाहरण:
“नलकी से पानी बह रहा था।” “नलकी का उपयोग कुएँ से घर तक पानी लाने के लिए किया जाता था।”
- नल की: इसका मतलब नल या टोंटी से संबंधित होता है। यह एक विशेषण है जो स्वामित्व को दर्शाता है।
- उदाहरण:
“जब आप इसका इस्तेमाल कर लें तो कृपया नल की बंद कर दें।” “नल की टपक रही थी, और पानी बर्बाद हो रहा था।”
4. पीलिया बनाम पी लिया
- पीलिया: इसका मतलब ज jaundice है, यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें त्वचा और आंखों का पीला पड़ जाना शामिल होता है।
- उदाहरण:
“डॉक्टर ने उसे पीलिया का पता लगाया।” “पीलिया के लक्षणों में त्वचा, आंखों और पेशाब का पीला पड़ना शामिल है।”
- पी लिया: यह क्रिया “पीना” (पीने के लिए) का भूतकाल कृदंत है।
- उदाहरण:
“उसने जूस पिया और तरोताजा महसूस किया।” “मेरे आने से पहले ही उसने पानी पी लिया था।”
5. तुम्हारी बनाम तुम हारे
- तुम्हारी: इसका मतलब सर्वनाम है, आपका (बहुवचन)।
- उदाहरण:
“यह तुम्हारी किताब है।” “तुम्हारी कार बाहर खड़ी है।”
- तुम हारे: यह क्रिया “हारना” (हारने के लिए) का भूतकाल है।
- उदाहरण:
“तुम कल क्रिकेट मैच हार गए थे।” “तुम्हारी टीम फाइनल मैच में हार गई।”
6. नदी बनाम न दी
- नदी: इसका मतलब नदी होता है।
- उदाहरण:
“नदी घाटी से होकर बहती थी।” “हम नदी के किनारे पिकनिक मनाने गए।”
3. निम्नांकित शब्दों के लिंग निर्धारित करो :
महिमा, चोट, लोचन, तलवार, ज्ञान, घट, साँस, प्रेम ।
- महिमा – स्त्रीलिंग (Feminine)
- चोट – स्त्रीलिंग (Feminine)
- लोचन – पुल्लिंग (Masculine)
- तलवार – स्त्रीलिंग (Feminine)
- ज्ञान – पुल्लिंग (Masculine)
- घट – पुल्लिंग (Masculine)
- साँस – स्त्रीलिंग (Feminine)
- प्रेम – पुल्लिंग (Masculine)
4. निम्नलिखित शब्दो समूहों के लिए एक एक शब्द लिखो ―
(क) मिट्टी के बर्तन बनानेवाला व्यक्ति – कुम्हार (Kumhar)
(ख) जो जल में डूबकी लगाता हो – गोताखोर (Gotakhor)
(ग) जो लोहे के औजार बनाता है – लोहार (Lohari)
(घ) सोने के गहने बनाने वाला कारीगर – सुनार (Sunar)
(ङ) विविध विषयों के गंभीर ज्ञान रखने वाला व्यक्ति – पंडित (Pandit)