पद-त्रय | Class 10 Hindi Chapter 8 Assamese Medium

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Class 10 Hindi Chapter 8 Assamese Medium

1. ‘हाँ’ या ‘नही’ में उत्तर दो ।

(क) हिन्दी की कृष्ण भक्ति काव्य धारा में कवयित्री मीराबाई का स्थान सर्वोपरि है ।

उत्तर : नहीं ।

(ख) कवयित्री मीराँबाई भगवान श्रीकृष्ण की अनन्य आराधिका थी। 

उत्तर : हाँ ।

(ग) राजपूतो की तत्कालीन परम्परा का विरोध करते हुए क्रांतिकारी मीराँ सती नहीं हुई । 

उत्तर : हाँ ।

(घ) मीराँबाई अपने को श्री कृष्ण जी के चरण-कमलो में पूरी तरह समर्पित नही कर पायी थी । 

उत्तर : नहीं ।

(ङ) मीराबाई ने सुंदर श्याम जी को अपने घर आने का आमन्त्रण दिया है ।

उत्तर : हाँ ।

2. पूर्ण वाक्य में उत्तर दो :

(क) कवयित्री मीराबाई का जन्म कहाँ हुआ था ?

उत्तर : कवयित्री मीराबाई का जन्म प्राचीन राजपूताने के अंतर्गत ‘मेड़ता’ प्रांत के कुड़की नामक स्थान में हुआ था ।

(ख) भक्त-कवयित्री मीराबाई को कौन-सी आख्या मिली है।

उत्तर : भक्त-कवयित्री मीराबाई को कृष्ण-प्रेम-दीवानी की आख्या मिली थी । 

(ग) मीराँबाई के कृष्ण-भक्तिपरक फुटकर पद किस नाम से प्रसिद्ध है ?

उत्तर : मीराँबाई के कृष्ण-भक्तिपरक फूटकर पद मीराबाई की पदावली नाम से प्रसिद्ध है ।

(घ) मीराबाई के पिता कौन थे ?

उत्तर : राव रत्न सिंह मीराबाई के पिता थे ।

(ङ) कवयित्री मीराबाई ने मनुष्यों से किस नाम का रस पीने का आह्वान किया है ?

उत्तर : कवयित्री मीराबाई ने मनुष्यों से राम नाम रस पीने का आह्वान किया है ।

3. अति संक्षिप्त उत्तर दो (लगभग २५ शब्द में) :

(क) मीरा भजनों की लोकप्रियता पर प्रकाश डालो । 

उत्तर :  मीराबाई के भजनों की खूबसूरती उनकी गहराई और सरलता में निहित है। इन भजनों में कृष्ण के प्रति उनकी अटूट भक्ति और प्रेम स्पष्ट रूप से व्यक्त होता है। मीरा की सरल भाषा उनके भजनों को सभी लोगों के लिए सुलभ बनाती है, जिससे उनकी रचनाएँ सदियों से लोकप्रिय बनी हुई हैं। मीरा के भजनों में संगीत का सुखद ताल भी पाया जाता है, जो उन्हें सुनने में मनोरंजक बनाता है। प्रेम, विरह, पीड़ा और आत्मसमर्पण जैसी भावनाओं को मीरा अपने भजनों में गहराई से व्यक्त करती हैं, जो श्रोताओं के दिलों को छू लेती हैं। ये भजन न केवल कृष्ण भक्ति का मार्ग दिखाते हैं बल्कि जीवन में सत्य और प्रेम का संदेश भी देते हैं।

(ख) मीराबाई का बचपन किस प्रकार बीता था ?

उत्तर: मीराबाई ने अपना बचपन अपने दादा राव दूदाजी की देखरेख में बिताया। उसकी माँ की मृत्यु जल्दी हो गई, और उसके पिता युद्धों में व्यस्त थे। वह अपने दादाजी के साथ कृष्ण की पूजा करने लगीं।

(ग) मीराँबाई का देहावसान किस प्रकार हुआ था ?

उत्तर: अपने पति भोजराज की मृत्यु के बाद मीराबाई ने सती होने से इनकार कर दिया। इसके बजाय, उन्होंने भगवान कृष्ण की तलाश के लिए महल छोड़ दिया और द्वारका के श्री रणछोड़ जी मंदिर में भजन गाते हुए उनकी मूर्ति में विलीन हो गईं।

(घ) कवयित्री मीराबाई की काव्यभाषा पर प्रकाश डालो । 

उत्तर:  मीराबाई ने हिंदी की एक बोली, राजस्थानी में काव्य रचना की, जिसमें ब्रज, खड़ी बोली, पंजाबी और गुजराती के शब्द शामिल थे। भजनों में उनकी काव्यात्मक भाषा और संगीतमय लय को हमेशा सभी ने सराहा है।

5. संक्षिप्त उत्तर दो (लगभग ५० शब्दों में) 

(क)  प्रभु कृष्ण के चरण-कमलों पर अपने को न्योछावर करने वाली मीराबाई ने अपने आराध्य से क्या क्या निवेदन किया है ?

उत्तर: मीराबाई ने अपने प्रिय भगवान कृष्ण से अनुरोध किया कि वे तुरंत आएं और उनके विरह के दर्द को दूर करें। उन्होंने व्यक्त किया कि कृष्ण के अलावा उनका कोई दूसरा स्वामी नहीं है और उन्हें किसी और से कोई उम्मीद नहीं है, सुरक्षा और सम्मान के लिए केवल उनके चरण कमलों पर ध्यान केंद्रित करती हैं।

(ख) सुंदर श्याम को अपने घर आने का निमंत्रण देते हुए कवयित्री ने उनसे क्या क्या कहा है ? 

उत्तर: कवयित्री मीरा ने सुंदर श्याम को अपने घर आमंत्रित करते हुए कहा था कि कृष्ण से वियोग के कारण वह पके हुए पान के पत्ते की तरह पीली पड़ गई हैं। उसने आगे बताया कि वह बेहोश रही क्योंकि कृष्ण नहीं आये थे। उसका ध्यान पूरी तरह से कृष्ण पर था, उसे किसी और से कोई उम्मीद नहीं थी, उसने उनसे अपने समर्थन और सम्मान की रक्षा के लिए तुरंत आने का आग्रह किया।

(ग) मनुष्य मात्र से राम (कृष्ण) नाम का रस पीने का आह्वान करते हुए मीराँबाई ने उन्हें कौन सा उपदेश दिया है ?

उत्तर: मीराबाई ने मनुष्य को बुरी संगत छोड़ कर सत्संग करने की सलाह दी। उन्होंने लोगों से अपने मन से काम, क्रोध, लालच और अहंकार जैसी बाधाओं को दूर करने और कृष्ण के प्रेम और आनंद में डूबने का आग्रह किया।

5. सम्यक् उत्तर दो (लगभग १०० शब्दों में) 

(क) मीराबाई के जीवन वृत्त पर प्रकाश डालें।

उत्तर:मीराबाई का जन्म 1498 के आसपास प्राचीन राजपुताना के कुडकी, मेड़ता में हुआ था। उनकी माता का निधन बचपन में ही हो गया था, और उनके पिता राव रतन सिंह युद्धों में व्यस्त रहते थे। इस कारण उनका पालन-पोषण उनके दादाजी, जो कृष्ण भक्त थे, ने किया। यहीं से मीराबाई की कृष्ण भक्ति प्रारंभ हुई। सोलह वर्ष की आयु में उनका विवाह भोजराज से हुआ, लेकिन सात वर्ष बाद ही उनकी मृत्यु हो गई। इस घटना से दुःखी होकर, मीराबाई ने घर-परिवार का विरोध करते हुए खुद को भगवान कृष्ण के प्रति समर्पित कर दिया। अंततः उन्होंने अपना शाही जीवन त्यागकर ऋषि-मुनियों के साथ भ्रमण किया और 1546 ई. में द्वारका में उनकी मृत्यु हो गई।

(ख) पठित पदों के आधार पर मीराँबाई की भक्ति भावना का निरूपण करो ।

उत्तर:पढ़े गए पदों के आधार पर मीराबाई की भक्ति भावनाएँ गहन और बहुआयामी हैं। सूरदास के भजनों के साथ पूजनीय उनके भजन, भगवान कृष्ण के साथ उनके गहरे संबंध को दर्शाते हैं। वह कृष्ण को स्वामी, मित्र और पति के रूप में देखती है, प्रभु गिरिधर नागर और सुंदर श्याम राम जैसे विभिन्न नामों के तहत उनके दर्शन, अनुग्रह और कंपनी के लिए तरसती है।

मीराबाई की भक्ति अद्वितीय है; उसने खुद को पूरी तरह से कृष्ण के चरण कमलों में समर्पित कर दिया है। उनके छंद कृष्ण की उपस्थिति के लिए उनकी तीव्र लालसा को दर्शाते हैं, उनकी अनुपस्थिति में उनकी पीली स्थिति को व्यक्त करते हैं। वह दूसरों से भगवान कृष्ण के प्रेम भरे सार में डूबने का आग्रह करती हैं। मीराबाई की कविता प्रेम की लालसा, समर्पण और प्राकृतिक आनंद को स्पष्ट रूप से दर्शाती है, जिसका केंद्र बिंदु कृष्ण हैं।

(ग) कवयित्री मीराबाई का साहित्यिक परिचय प्रस्तुत करो । 

उत्तर:कृष्ण के प्रति अपनी अटूट भक्ति के लिए प्रसिद्ध, मीराबाई ने अपने प्रेम को व्यक्त करते हुए अनेक रचनाएँ रचीं। उनकी कृतियाँ, विशेष रूप से उनके भजन, कबीरदास, सूरदास और तुलसीदास जैसे महाकवियों की रचनाओं के समान ही लोगों को गहरे रूप से प्रभावित करते हैं। “मीराबाई की पदावली” में संकलित उनकी रचनाएँ अपनी प्रामाणिकता और मर्मस्पर्शिता के लिए पूजनीय मानी जाती हैं। मीराबाई की रचनाएँ मुख्य रूप से राजस्थानी भाषा में लिखी गई हैं, जिनमें ब्रज भाषा, खड़ीबोली, पंजाबी और गुजराती भाषाओं के भी तत्व समाहित हैं। उनके छंदों में चित्रित प्रेम और भक्ति, उनकी सहज अभिव्यक्ति और संगीतात्मकता के साथ मिलकर, पाठकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं।

6. सपसंग व्यख्या करो : 

(क) “मै तो चरण लगी ……. चरण-कमल बलिहार ।।

उत्तर:पैड-ट्रे शीर्षक वाली कविता, जो पाठ्यपुस्तक आलोक भाग-2 में शामिल है, कवयित्री मीराबाई द्वारा रचित एक भक्तिमय रचना है। इस कविता में, मीराबाई खुद को गोपाल (भगवान कृष्ण) की भक्त के रूप में प्रस्तुत करती हैं और उनके प्रति अपना पूर्ण समर्पण व्यक्त करती हैं।

मीराबाई अपनी भक्ति की भावना को उजागर करती हैं, जो पहले अज्ञात थी, लेकिन अब दुनिया द्वारा स्वीकार की जा रही है। वह कृष्ण के दर्शन और आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रबल इच्छा व्यक्त करती हैं, उनके प्रेम और माधुर्य की महिमा का गुणगान करती हैं, जो सभी को मंत्रमुग्ध कर देता है।

कविता में मीराबाई का प्रेम भक्ति का भाव गहरा और मार्मिक है। वह कृष्ण को अपना सर्वस्व मानती हैं और उनके चरणों में अपना जीवन समर्पित कर देती हैं। उनकी भक्ति में कोई शर्त या अपेक्षा नहीं है, केवल प्रेम और समर्पण की भावना है।

“पैड-ट्रे” मीराबाई की भक्ति और प्रेम की अद्भुत अभिव्यक्ति है। यह कविता उनके गहन आध्यात्मिक अनुभवों और भगवान कृष्ण के प्रति उनकी अटूट श्रद्धा का प्रमाण है।

(ग) राम-नाम रस पीजै ताहि के रंग में भीजै ।। 

उत्तर:पैड-ट्रे शीर्षक की कविता, जो हमारी पाठ्यपुस्तक आलोक भाग-2 के तीसरे श्लोक में शामिल है, कवयित्री मीराबाई द्वारा रचित एक भक्तिमय रचना है।

इस कविता में, मीराबाई अपने पति, भगवान कृष्ण की सुंदरता और उनके नाम के जाप की महिमा का गुणगान करती हैं। वह मनुष्यों से आग्रह करती हैं कि वे कृष्ण के प्रेम में डूब जाएं और उनके रंगों में रंग जाएं।

मीराबाई सत्संग की वकालत करती हैं और मनुष्यों को मन से वासना, क्रोध जैसी बुराइयों को त्यागने का आह्वान करती हैं।

उनकी भक्ति, जो मधुर ध्वनि के साथ व्यक्त होती है, मनुष्यों के हृदय को आनंदित कर देती है।

भाषा एवं व्याकरण ज्ञान 

1. निम्नलिखित शब्दों का तत्सम रूप लिखो : 

किरपा, दरसन, आसा, चरचा, श्याम, धरम, किशन, हरख । 

किरपा – कृपा (Krupa)

दरसन – दर्शन (Darshan)

आसा – आशा (Aasha)

चरचा – चर्चा (Charcha)

श्याम – श्याम (Shyama)

धरम – धर्म (Dharma)

किशन – कृष्ण (Krishna)

हरख – हर्ष (Harsha)

2. वाक्यों में प्रयोग करके निम्नलिखित शब्दजोड़ों के अर्थ का अंतर स्पष्ट करो : 

संसार―संचार,    चरण―शरण,     दिन―दीन, 

कुल―कूल,    कली―कलि,     प्रसाद―प्रासाद, 

अभिराम―अविराम,      पवन―पावन ।

1. संसार-संचार

  • संसार: इसका अर्थ है दुनिया, ब्रह्मांड, या जीवन। यह एक व्यापक शब्द है जो सभी जीवित चीजों और उनके परिवेश को शामिल करता है।
  • उदाहरण:

“संसार में बहुत कुछ सीखने और देखने के लिए है।” “यह संसार अनोखी चीजों से भरा हुआ है।”

  • संचार: इसका अर्थ है विचारों, भावनाओं, या सूचनाओं का आदान-प्रदान। यह दो या दो से अधिक लोगों के बीच बातचीत के माध्यम से होता है।
  • उदाहरण:

“संचार किसी भी रिश्ते की कुंजी है।” “उन्होंने विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए एक बैठक का आयोजन किया।”

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1नींव की ईंट
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3नीलकंठ
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7साखी
8पद-त्रय
9जो बीत गयी
10कलम और तलवार
11कायर मत बन
12मृत्तिका

2. चरण-शरण

  • चरण: इसका अर्थ है पैर, कदम, या चरण। यह किसी गतिविधि या प्रक्रिया के विभिन्न भागों को भी संदर्भित कर सकता है।
  • उदाहरण:

“वह धीरे-धीरे पहाड़ी की चोटी पर चढ़ रहा था।” “यह योजना चार चरणों में पूरी होगी।”

  • शरण: इसका अर्थ है आश्रय, सुरक्षा, या आश्रय। यह किसी खतरे या मुसीबत से बचने के लिए एक जगह है।
  • उदाहरण:

“वह तूफान से बचने के लिए एक गुफा में शरण लेने के लिए मजबूर था।” “पीड़ितों को आश्रय प्रदान किया गया।”

3. दिन-दीन

  • दिन: इसका अर्थ है 24 घंटे की अवधि, सूर्योदय से सूर्यास्त तक। यह समय की एक इकाई है।
  • उदाहरण:

“मुझे हर दिन जल्दी उठने की आदत है।” “आज बहुत अच्छा दिन है।”

  • दीन: इसका अर्थ है गरीब, असहाय, या अभावग्रस्त। यह एक सामाजिक-आर्थिक स्थिति है।
  • उदाहरण:

“सरकार ने गरीबों की मदद के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं।” “वह दीन-दुखियों की सेवा करता है।”

4. कुल-कूल

  • कुल: इसका अर्थ है समग्र, पूरा, या संपूर्ण। यह किसी चीज की पूरी मात्रा या विस्तार को संदर्भित करता है।
  • उदाहरण:

“उसने कुल 100 अंक प्राप्त किए।” “यह कुल मिलाकर एक अच्छा अनुभव था।”

  • कूल: इसका अर्थ है शांत, शांत, या तटस्थ। यह भावनाओं या भावनाओं की अनुपस्थिति को संदर्भित करता है।
  • उदाहरण:

“वह एक शांत और संयमित व्यक्ति था।” “स्थिति अभी तक शांत है।”

5. कली-कलि

  • कली: इसका अर्थ है फूल की अनिषेचित अवस्था। यह एक नाजुक और सुंदर चीज है जो खिलने की प्रतीक्षा कर रही है।
  • उदाहरण:

“गुलाब की कलियाँ बहुत सुगंधित होती हैं।” “वह बगीचे में खिली हुई कलियों को देख रही थी।”

  • कलि: इसका अर्थ है युग का अंत, विनाश, या विनाश। यह एक नकारात्मक और विनाशकारी घटना है।
  • उदाहरण:

“दुनिया का अंत नजदीक आ रहा है।” “युद्ध ने व्यापक कलह और विनाश ला दिया।”

6. प्रसाद-प्रासाद

  • प्रसाद: इसका अर्थ है देवता या ईश्वर का आशीर्वाद, भोजन, या उपहार। यह एक पवित्र और सम्मानित वस्तु है।
  • उदाहरण:

“उन्होंने मंदिर में प्रसाद लिया।”

3.  निम्नलिखित शब्दों के लिंग परिवर्तन करो :

कवि, अधिकारिनणी, बालिका, दादा, पति, भगवान, भक्तिन । 

1. Poet (कवि) – Poetess (कविनी)

2. Ruler (अधिकारिनी) – Ruler (अधिकारी)

3. Girl (बालिका) – Boy (बालक)

4. Grandfather (दादा) – Grandmother (दादी)

5. Husband (पति) – Wife (पत्नी)

6. God (भगवान) – Goddess (भगवती)

7. Devotee (भक्तिन) – Devotee (भक्त)

4. विलोमार्थक शब्द लिखो : 

पूर्ण, सजीव, प्राचीन, कोमल, अपना, विरोध, मिथ्या, कुसंग, सुंदर, अपमान, गुप्त, आनंद ।

1. पूर्ण – अधूरा

2. सजीव – निर्जीव

3. प्राचीन – आधुनिक

4. कोमल – कठोर

5. अपना – दूसरों का

6. विरोध – समर्थन

7. मिथ्या – सच्चा

8. कुसंग – सत्संग

9. सुंदर – बदसूरत

10. अपमान – सम्मान

11. गुप्त – प्रकट

12. आनंद – दुःख

5. निम्नलिखित शब्दों के वचन  परिवर्तन करो: 

कविता, निधि, कवि, पौधा, कलम, औरत, साखी, बहू ।

1. Poem (कविता) – Poems (कविताएँ)

2. Treasure (निधि) – Treasures (निधियाँ)

3. Poet (कवि) – Poets (कवि)

4. Plant (पौधा) – Plants (पौधे)

5. Pen (कलम) – Pens (कलमें)

6. Woman (औरत) – Women (औरतें)

7. Friend (साखी) – Friends (साखियाँ)

8. Daughter-in-law (बहू) – Daughters-in-law (बहुएँ)

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